नाट्य स्पर्धा में दो नाटको का मंचन, वॉट अबाउट सावरकर और कौमार्य

Two dramas in theatrical competition, What About Savarkar and virginity
नाट्य स्पर्धा में दो नाटको का मंचन, वॉट अबाउट सावरकर और कौमार्य
नाट्य स्पर्धा में दो नाटको का मंचन, वॉट अबाउट सावरकर और कौमार्य

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र राज्य सांस्कृतिक कार्य संचालनालय द्वारा 59 वीं हिंदी राज्य नाट्य स्पर्धा का आयोजन साइंटिफिक सभागृह में किया गया। इस अवसर पर दो नाटक उडाण एक झेप तथा हेमेन्दु रंगभूमि प्रस्तुत ‘वॉट अबाउट सावरकर’ तथा श्री नटराज शैक्ष सांस्कृतिक व क्रीड़ा संस्था अमरावती द्वारा ‘कौमार्य’ का मंचन किया गया। ‘वॉट अबाउट सावरकर’ के लेखक व निर्देशक प्रवीण खापरे है। ‘कौमार्य’ का लेखन सलीम शेख तथा निर्देशन हर्षद ससाणे ने किया।

वॉट अबाउट सावरकर की कहानी

वॉट अबाउट दो अंकी हिन्दी नाटक क्रांतिकरी और चिंतक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के विचारो से केन्द्रित था। नाटक में वर्तमान परिदृश्य में वह कौन सी भूमिका रखते है ओर भारत के युवाओं को किस तरह मार्गस्थ करते है इसका स्वप्नवत  विश्लेषण किया गया है। भारत देश विचारो की जन्मभूमि रही है और यहां विभिन्न विचारधाराओ के महारथी हुए है। महापुरूषो ने अपने विचार बेबाकी से रखे और समाज को नई दिशा देने कार्य किया है। नाटक मे सावरकर का भविष्यवेधी ददृष्टिकोण रखा गया,तथा वर्तमान परिदृश्य में युवाओं को अडीमता से खड़े रहने का आव्हान किया। नाटक पूरी तरह से विचारो की विचारो की दुविधा कहा जा सकता है। उसी दुविधा को नाटक के पात्र ‘विनय’ द्वारा नाट्यरसिको के समक्ष रखा गया है। विनय विचारो की मूर्ति करना चाहता है,किंतु उसके मन में निर्माण हुए प्रश्नो का उत्तर   उसे नहीं मिल रहा है। इन प्रश्नो का विवेचन करने के लिए ‘विराग’ नामक पात्र बुना गया है। विराग विनय के प्रश्नो को उत्तरो द्वारा मुक्त कराता है। इन दोनो के प्रश्न और उत्तर गहरे है,जिस वजह से संपूर्ण ब्रम्हांड में संचार कर रहे अमर विचारो का प्रतिनिधि विचार यह पात्र प्रगट होता है। यह पात्र सभी विद्वक जनो के मस्तिष्क से निकले विचारो का वाहक है। वह अदृश्य अवस्था में रहता है,किंतु विराग और विनय के चिंतन के कारण उनके समक्ष उपस्थित होता है। तभी विनय और विराग द्वारा बनाई जा रही मूर्ति जीवित हो जाती है। उस मूर्ति में सावरकर की आत्मा प्रवेश करती है,और नाटक आगे बढ़ता है। नाटक में ‘विद्रोह’ पात्र नकारात्मक अवस्था में जी रहे व्यक्तियों का  प्रतिनिधत्व करता है और उसी के कारण नाटक का वेग आगे बढ़ता है। विचारो के आवेग के साथ अंत सकारात्मक अंग से होता है। संपूर्ण नाटक राष्ट्रवाद्र,संविधान,महात्मा गांधी,नाथूराम गोडसे,गौतम बुद्ध,बाबासाहेब अंबेडकर अनुयायी और वर्तमान स्थिती पर गहन चिंतन करता है।

वाटॅ अबाउट  सावरकर के पात्र और परिचय

नाटक में जयंत बन्लावर,किशोर येलणे,गजानन जैस,यशवंत निकम,अभिषेक डोंगरे,गायत्री फेंडर तथा ऋतुजा वड्यालकर मुख्य भूमिका में है। नृत्य निर्देशक सूचना बंगाले,प्रकाश योजना ज्योति जोगी व जितेन्द्र गोस्वामी,नेपथ्य प्रशांत इंगले व सतीश कालबांडे,वेशभूषा गायत्री फेंडर,रंगमंच व्यवस्था वेदांत रेखडे,नमेश वाडबुधे,श्रेयस मंथनवार,निशाद डबीर,खुशाल रहांगडाले,प्रांशु गोखले की है। 

Created On :   20 Feb 2020 5:32 PM IST

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