उद्धव को शून्य से करनी होगी शुरुआत, चुनाव आयोग के फैसले के बाद खड़ी करनी होगी नई पार्टी

डिजिटल डेस्क, विजय सिंह ‘कौशिक’, मुंबई। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा ‘शिवसेना’ का नाम और चुनाव चिन्ह‘धनुष बाण’ पर एकनाथ शिंदे गुट के दावे को मान्य करने के बाद उद्धव ठाकरे गुट मुश्किल में पड़ गया है। 57साल पुरानी पार्टी के हाथ से जाने के बाद अब उद्धव को नई पार्टी खड़ी करने के लिए शून्य से शुरुआत करनी पड़ेगी। हालांकि राजनीतिक पंडितों का मानना है की इससे उद्धव को सहानुभूति का लाभ मिल सकता है। ‘शिवसेना’ में बगावत के बाद पार्टी के अधिकांश सासंद व विधायक शिंदे के साथ चले गए थे। इसी आधार पर चुनाव आयोग ने शिवसेना पर शिंदे गुट के दावे को मंजूरी दी है। इससे अब उद्धव गुट को नई पार्टी बनानी पड़ेगी। अंधेरी उप चुनाव के वक्त चुनाव आयोग ने अस्थाई तौर पर शिवसेना ( उद्धव बालासाहेब ठाकरे ) और मशाल चुनाव चिन्ह दिया था। पार्टी में शिंदे की बगावत के बाद ही उद्धव ठाकरे को इस बात का अहसास हो गया था। इस लिए पिछले साल जुलाई में उद्धव ने अपने समर्थको को संबोधित करते हुए कहा था की ‘मैं शून्य से शुरुआत करूंगा। मुझे फिर से पार्टी को खड़ा करना है।’ राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे कहते हैं कि ‘चुनाव आयोग के फैसले को लेकर यदि उद्धव गुट को अदालत से राहत न मिली तो उन्हें एक नए दल का गठन करना पड़ेगा और उस सारी प्रक्रिया से गुजरना होगा जो किसी नए दल को पूरी करनी पड़ती है। देशपांडे कहते हैं कि अदालत चुनाव आयोग के फैसले पर मुहर लगा सकता है अथवा पार्टी का नाम व चुनाव चिन्ह फ्रीज कर सकते हैं। दोनों ही परिस्थितियों में उद्धव को नए दल का गठन करना पड़ेगा।
छीन सकता है मशाल
चुनाव आयोग द्वारा उद्धव गुट को उपचुनाव के लिए दिए गए चुनाव चिन्ह मशाल को वापस लिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि पुणे जिले की दो सीटो पर हो रहे उपचुनाव के बाद मशाल चुनाव चिन्ह भी उद्धव की शिवसेना से छीन जाएगा। पुणे के कसबा पेठ और चिंचवड़ विधानसभा सीट पर उप चुनाव के लिए 26 फरवरी को मतदान होगाऔर 27 फरवरी को शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) व चुनाव चिन्ह मशाल लैप्स हो जाएगा।
सांसत में विधान परिषद सदस्य
शिवसेना में बगावत के बाद पार्टी के 56 विधानसभा सदस्यों में से 40 एकनाथ शिंदे के साथ चले गए जबकि 16विधायक अभी भी उद्धव ठाकरे के साथ बने हुए हैं लेकिन शिवसेना के 11विधान परिषद सदस्यों में से सभी उद्धव ठाकरे के साथ बने हुए हैं। पर अब चुनाव आयोग के फैसले के बाद ‘शिवसेना’ शिंदे की हो चुकी है। ऐसे में शिवसेना के विधान परिषद सदस्यों की क्या भूमिका होगी? इस सवाल पर महाराष्ट्र विधानमंडल के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे कहते हैं की संविधान के अनुसूची10 के प्रावधान के अनुसार शिवसेना के विधान परिषद सदस्य अलग गुट बना कर उद्धव के साथ रह सकते हैं। कलसे कहते हैं कि फिलहाल हमे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा। सत्ता संघर्ष को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबसे अहम है। आगामी 21 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में तारीख है।
अब ‘व्हिप के जाल’ में उलझेंगे ठाकरे गुट के 16 विधायक!
शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के साथ बचे 16 विधायकों की मुश्किल बढ़ सकती है। शिंदे गुट के प्रवक्ता व मंत्री दीपक केसरकर ने कहा है कि 27 फरवरी से शुरू हो रहे विधान मंडल के बजट अधिवेशन के लिए पार्टी व्हिप जारी कर शिवसेना विधायकों की बैठक बुलाएगी।
सूत्रों के अनुसार ठाकरे गुट के 16 विधायक शिंदे गुट के व्हिप पर बैठक में शामिल नहीं हुए तो उनके खिलाफ अपात्रता की नोटिस जारी कर विधानसभा अध्यक्ष के माध्यम से कारवाई कराने की रणनीति है। इस बारे में विधान मंडल के पूर्व प्रधान सचिव अनंत कलसे ने ’दैनिक भास्कर’ से कहा की शिंदे गुट का व्हिप उद्धव गुट पर लागू होगा अथवा नहीं यह विधानसभा अध्यक्ष तय कर सकते हैं। जानकारों की राय में ऐसे में अब उद्धव गुट के पास अदालत का सहारा ही बचा है। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया है। यदि कोर्ट से आयोग के फैसले पर स्टे मिल गया तो फिलहाल उद्धव गुट के विधायक शिंदे गुट के ‘व्हिप के जाल’ में फसने से बच सकते हैं।
Created On :   19 Feb 2023 7:52 PM IST