बैठक: मोदी कैबिनेट ने प्रणब दा की याद में रखा दो मिनट का मौन, कहा- मुखर्जी ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी

Union Cabinet meeting Pranab Mukherjee demise Modi Cabinet expressed profound sorrow observed silence for 2 minutes
बैठक: मोदी कैबिनेट ने प्रणब दा की याद में रखा दो मिनट का मौन, कहा- मुखर्जी ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी
बैठक: मोदी कैबिनेट ने प्रणब दा की याद में रखा दो मिनट का मौन, कहा- मुखर्जी ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी
हाईलाइट
  • केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रणब मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि
  • मंत्रिमंडल ने मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त कर दो मिनट का मौन रखा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस दौरान मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया और दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया, प्रणब मुखर्जी के निधन से देश ने एक प्रतिष्ठित नेता और एक उत्कृष्ट संसदीय वक्ता खो दिया। मुखर्जी ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है।

मंत्रिमंडल ने कहा, प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। वे गवर्नेंस में अद्वितीय अनुभव रखने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने केंद्र में विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्तमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है। उनके निधन से देश ने एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, निपुण सांसद और एक बड़ा राजनेता खो दिया है। मंत्रिमंडल ने मुखर्जी द्वारा राष्ट्र के लिए की गई सेवाओं की प्रशंसा की। साथ ही सरकार और पूरे राष्ट्र की ओर से उनके शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन का सफर
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के छोटे से गांव मिराती में 11 दिसंबर, 1935 को जन्मे प्रणब मुखर्जी ने इतिहास और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री और कोलकाता विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की थी। मुखर्जी ने कॉलेज के शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की। बाद में अपने पिता के राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान से प्रेरित होकर मुखर्जी ने 1969 में राज्यसभा के चुनाव से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया।

1982 में पहली बार भारत के वित्तमंत्री बने
वह कई विभागों के मंत्री रहे। 1973-75 के दौरान राज्यवित्त मंत्री रहे। वर्ष 1982 में वह पहली बार भारत के वित्तमंत्री बने और 1980 से 1985 तक राज्यसभा में सदन के नेता रहे। वह 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे, 1993 से 1995 तक वाणिज्य मंत्री और 1995 से 1996 तक विदेश मंत्री और 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्री रहे।

25 जुलाई 2012 को भारत के राष्ट्रपति का पद संभाला
इसके बाद 2006 से 2009 तक विदेश मंत्री और 2009 से 2012 तक वित्तमंत्री के रूप में कार्य किया। वह 2004 से 2012 तक लोकसभा में सदन के नेता रहे। इसके बाद मुखर्जी 25 जुलाई 2012 को भारत के राष्ट्रपति बने और पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा किया। राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर अपने विद्वतापूर्ण और मानवीय दृष्टिकोण के साथ काम किया।

किताबों से प्यार करने वाले मुखर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण पर कई किताबें भी लिखी हैं। उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से भी नवाजा गया, जिसमें 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार, 2008 में पद्म विभूषण और 2019 में भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न शामिल है।

Created On :   1 Sep 2020 10:00 AM GMT

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