केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने ‘हिंदी दिवस’ पर देशवासियो को शुभकमनाएं दीं

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केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने ‘हिंदी दिवस’ पर देशवासियो को शुभकमनाएं दीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी दिवस के अवसर पर मैं इसके सशक्तिकरण में योगदान देने वाले सभी महानुभावों को नमन करता हूं और देशवासियों से आह्वान करता हूं कि अपनी मातृभाषा के साथ साथ हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग कर उनके संरक्षण व संवर्धन में अपना योगदान देने का संकल्प लें भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की अविरल धारा, मुख्य रूप से हिंदी भाषा से ही जीवन्‍त तथा सुरक्षित रह पाई है माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में आज भारत एक संसाधन-संपन्न शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा है और इसमें देश की समृद्ध भाषा हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री जी द्वारा हिंदी में दिए गए भाषणों से, हिंदी का वैश्वि‍क कद मजबूत हुआ है और हिंदी प्रेमियों को प्रेरणा भी मिल रही है हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता, सरलता, सुबोधता और स्‍वीकार्यता है, हिंदी भाषा की विशेषता है कि इसमें जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति से अन्य भारतीय भाषाओं व हिंदी का समानांतर विकास होगा प्रधानमंत्री जी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अभियान को आगे बढ़ाते हुए, राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी के लिए ई-टूल्स सुदृढ़ करने का काम किया जा रहा है हिंदी भाषा और बाकी सारी भारतीय भाषाओं ने मिलकर भारत की सांस्कृतिक विविधता को आगे ले जाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है हिंदी की प्रति‍स्‍पर्धा कभी भी स्‍थानीय भाषा से नहीं रही, यह पूरे भारत के जनमानस में ज्‍यादा स्‍पष्‍ट होने की जरूरत है हम प्रतिज्ञा लें कि हिंदी की उन्नति व प्रगति की यात्रा पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ाते हुए, हम सब मिलकर राजभाषा हिंदी को सभी स्‍थानीय भाषाओं के साथ में रखते हुए, हिंदी के माध्‍यम से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे संवैधानिक दायित्‍वों का निर्वहन करने के लिए आवश्‍यक है कि सरकारी कामकाज अनुवाद की अपेक्षा मूल रूप से हिंदी में किया जाए और अन्‍य स्‍थानीय भाषाओं में इसका अनुवाद किया जाए केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने हिंदी दिवस पर देशवासियो को शुभकमनाएं दी हैं। अपने संदेश में श्री अमित शाह ने कहा कि हिंदी दिवस के अवसर पर मैं इसके सशक्तिकरण में योगदान देने वाले सभी महानुभावों को नमन करता हूं और देशवासियों से आह्वान करता हूं कि अपनी मातृभाषा के साथ साथ हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग कर उनके संरक्षण व संवर्धन में अपना योगदान देने का संकल्प लें। श्री अमित शाह ने कहा कि अनेक भाषाएं एवं संस्कृतियां हमारी न केवल विरासत हैं हमारी ताकत भी हैं, इसलिए हमें इसको आगे बढ़ाना है। सांस्‍कृतिक व भाषाई विविधता से भरे, इस गौरवशाली देश में - पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण के बीच, सदियों से, कई भाषाओं ने संपर्क बनाए रखने का काम किया है। हिंदी इसमें प्रमुख भाषा रही है और ये योगदान जो हिंदी का है इसको देश के कई नेताओं ने समय-समय पर सराहा है और हिंदी ने भारत को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा और बाकी सारी भारतीय भाषाओं ने मिलकर भारत की सांस्कृतिक विविधता को आगे ले जाने में बहुत बड़ा योगदान दिया है । हिंदी के साथ बृज, बुंदेलखंडी, अवधी, भोजपुरी, अन्य भाषाएं और बोलियां इसका उदाहरण हैं। हिंदी हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम के समय से राष्ट्रीय एकता और अस्मिता का प्रभावी व शक्तिशाली माध्यम रही है। हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता, सरलता, सुबोधता और स्‍वीकार्यता भी है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा की विशेषता है कि इसमें जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है। हिंदी की इन विशेषताओं एवं सर्वग्राह्यता को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया। श्री अमित शाह ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 का उल्‍लेख करते हुए कहा कि 26 जनवरी 1950 को लागू इस संविधान में यह प्रावधान रखा गया कि संघ की राजभाषा ‘हिंदी’ व लिपि ‘देवनागरी’ होगी। श्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों की अविरल धारा, मुख्य रूप से हिंदी भाषा से ही जीवन्‍त तथा सुरक्षित रह पाई है। हिंदी भाषा ने बाकी स्‍थानीय भाषाओं को भी बल देने का प्रयास किया है। हिंदी हर राज्‍य की भाषा को ताकत देती है। हिंदी की प्रति‍स्‍पर्धा कभी भी स्‍थानीय भाषा से नहीं रही, यह पूरे भारत के जनमानस में ज्‍यादा स्‍पष्‍ट होने की जरूरत है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अनुच्छे%A

Created On :   14 Sep 2020 11:28 AM GMT

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