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चौतरफा आरोपों से घिरे कुलगुरु को चेताया- कहा "गेट वेल सून' मिस्टर वाइस चांसलर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी के बजट, वार्षिक रिपोर्ट और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए आयोजित सीनेट की बैठक में कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे को अपने बयानों और फैसलों के कारण सदस्यों की कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। सीनेट सदस्यों ने इसे यूनिवर्सिटी के इतिहास का काला दिन करार दिया। उनके पुरजोर विरोध के चलते कुलगुरु को अपने अधिकांश फैसलों पर से यू-टर्न लेना पड़ा। कुलगुरु पर पड़ रहे चौतरफा दबाव और आलोचना के बीच शिक्षा वर्ग उनके रिलैक्स होने की कामना के साथ उन्हें "गेट वेल सून" की शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा है। राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस ने तो इसके लिए मुहिम भी छेड़ दी है। संगठन ने विद्यार्थियों से कुलगुरु के लिए "गेट वेल सून" के पत्र यूनिवर्सिटी में भेजने की अपील की है।
इधर, बैठक की शुरुआत में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने यूनिवर्सिटी के गेट पर खड़े होकर सभी सीनेट सदस्यों को गुलाब का फूल देकर कुलगुरु की सद्बुद्धि की प्रार्थना करने की विनती की।
प्रसार माध्यमों पर लगाया बैन
सीनेट की सभा में पत्रकारों पर प्रतिबंध लगाने की डॉ.काणे की कोशिश तब नाकाम हो गई, जब उनके इस निर्णय का सीनेट सदस्यों ने विरोध किया। विरोध बढ़ता देख कुलगुरु ने इसे मैनेजमेंट काउंसिल का फैसला बताया, लेकिन बैठक में मौजूद मैनेजमेंट काउंसिल सदस्यों ने ऐसे किसी निर्णय से अपनी असमहमति जताई। कुलगुरु को सदन को गुमराह करते देख सीनेट सदस्य भड़क गए और प्रसार माध्यमों पर लगाए गए बैन के खिलाफ सदन से वॉकआउट कर दिया। इसमें स्मिता वंजारी, शरयू तायवाडे, सरिता निंबार्ते, डॉ.मृत्युंजय सिंह, वामन तुर्के, डॉ.चेतन मसराम, डॉ.केशव मेंढे व अन्य सदस्यों की उपस्थिति थी। अंतत: कुलगुरु बैकफुट पर आए और उन्होंने प्रसार माध्यमों के प्रतिनिधियों को अंदर बुलावा भेजा। साथ ही स्पष्टीकरण देते हुए आगे की सभी बैठकों में प्रसार माध्यमों के प्रतिनिधियों को एंट्री देने का निर्णय लिया।
इधर, इस गैर-जरूरी सेंसरशिप का पत्रकारों ने भी विरोध किया। सीनेट सभा से जुड़े फॉर्म पर "अंडर-प्रोटेस्ट" लिख कर अपना एतराज जताया। वहीं श्रमिक पत्रकार संघ ने भी कुलगुरु के इस फैसले का निषेध किया। संघ अध्यक्ष प्रदीप मैत्र ने इसकी शिकायत राज्यपाल से की है।
छावनी में बदला यूनिवर्सिटी
सीनेट की सभा में पत्रकारों की एंट्री बैन करने के लिए कुलगुरु डॉ.काणे ने भरसक प्रयत्न किए। नागपुर विवि के महाराजबाग चौक स्थित प्रशासकीय परिसर के हर द्वार को बंद करके उसके पीछे बड़ी संख्या में सुरक्षा रक्षकों को तैनात कर दिया। विवि के हर एंट्री पाइंट पर यही स्थिति थी। परिसर में किसी को भी बगैर पहचान-पत्र के अंदर प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। इस पूरा विवि परिसर छावनी सा प्रतीत हो रहा था।
कुलगुरु तो स्वयं दहशतवादी
कुछ दिनों पूर्व कुलगुरु ने विवि को एकेडमिक आतंकवाद का अड्डा बताया था। उन्होंने बुधवार को सीनेट की बैठक में प्रसार माध्यमों की एंट्री भी बैन की। ऐसे में बुधवार को सुबह बैठक शुरू होते ही सीनेट सदस्यों ने इस बात को लेकर सख्त एतराज जताया। सीनेट सदस्यों ने उलटे कुलगुरु को ही एकेडमिक दहशतवादी बता दिया। सीनेट के ज्येष्ठ सदस्य डॉ.बबनराव तायवाडे और अभाविप के विष्णु चंगादे ने सभा में कहा कि कुलगुरु ने इस बैठक में भेजे गए कई महत्वपूर्ण प्रश्नों पर कैंची चला कर उन्हें सदन में आने नहीं दिया, इसी तरह एड.मनमोहन वाजपेयी ने कहा कि अपनी मनमानी को जाहिर न होने देने के लिए कुलगुरु ने प्रसार माध्यमों को बैन किया है। सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि इन हरकतों से तो कुलगुरु डॉ.काणे स्वयं ही दहशतवादी प्रतीत होते हैं।
Created On :   14 March 2019 11:33 AM IST