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समन रद्द कराने पहुंचे अमेज़न इंडिया के उपाध्यक्ष, सामान की डिलवरी न होने पर दायर हुआ है मुकदमा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ई-कामर्स कंपनी अमेज़न इंडिया व उसके उपाध्यक्ष अमित अग्रवाल ने खुद के खिलाफ जारी समन व आपारधिक मामले को रद्द करने की मांग को लेकर बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उल्हासनगर के मेट्रेपालिटिन मैजिस्ट्रेट ने यह समन अधिवक्ता अमृतपाल खालसा की ओर से की गई आपराधिक शिकायत पर गौर करने के बाद जारी किया है। खालसा ने शिकायत में दावा किया है कि उन्होंने अमेजॉन से 2 टीबी पोर्टेबल एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव मंगाया था जो उन्हें नहीं मिला है। इसके बावजूद अमेजॉन द्वारा उनके पैसे वापस नहीं किए गए। जबकि अमेज़न इंडिया ने अपनी याचिका में शिकायतकर्ता के आरोपों का खंडन किया है और धोखाधड़ी के आरोपों को निराधार बताया है। याचिका में दावा किया गया है कि अग्रवाल कंपनी के रोज-मर्रा की गतिविधियों से नहीं जुड़े रहते हैं। उन पर इस मामलें में सीधे कोई आरोप भी नहीं लगाए गए हैं ऐसे में उनके खिलाफ समन जारी करना अपेक्षित नहीं था। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने समन जारी करने से पहले इस पर विचार नहीं किया है कि अमेज़न उत्पादों का कोई विक्रेता व निर्माता नहीं है। वह सिर्फ एक ऑनलाइन बाजार है। इसलिए इस मामले में याचिकाकर्ता सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 79 के तहत सरंक्षण पाने का हकदार है। इसके साथ ही शिकायतकर्ता इस मामले में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 154 (6) के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहे हैं। इसलिए मामले से जुड़ी शिकायत व समन को रद्द किया जाए।
रिफंडेबल राशि पर नहीं लगाया जा सकता टीडीएस
वहीं एक मामले में बांबे हाईकोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया है कि बिल्डर अथवा डेवलपर की ओर से घर खरीदार को दी जाने वाली रिफंडेबल (वापस की जानेवाली रकम) राशि पर टीडीएस नहीं काटा जा सकता है। न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। खंडपीठ ने कहा है हमारे मतानुसार जिस लेन देन में पक्षकारों के बीच लेनदार व देनदार का संबंध नहीं होता है, ऐसी परिस्थिति में रकम के भुगतान में आयकर अधिनियम के प्रावधानों के तहत टीडीएस नहीं काटा जा सकता है। क्योंकि रिफंडेबल रकम की राशि एक तय कर्ज होती है। मामला साल 2013 से साल 2016 के बीच रवि ग्रुप आफ कंपनी से घर खरीदनेवालों से जुड़ा है। कुछ लोगों ने मुंबई के मालाड इलाके में स्थित मालवणी में गौरव डिस्कवरी बिल्डिंग में घर खरीदे थे। घर मिलने में हो रही देरी को लेकर घर खरीदारों ने बिल्डर के खिलाफ महारेरा प्राधिकरण में शिकायत की थी। इसके बाद महारेरा ने घर खरीदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। पहले तो बिल्डर ने याचिकाकर्ताओं को सहमति पत्र के हिसाब से पैसे दिए लेकिन बाद में उसने 50 लाख 59 हजार की राशि में पांच लाख रुपए टीडीएस काट लिया। इसके बाद घर खरीददारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि रिफंडेबल रकम पर टीडीएस नहीं काटा जा सकता है।
Created On :   30 Aug 2021 9:36 PM IST