'वॉर अगेंस्ट रेलवे राउडी', लड़कियों के लिए मददगार

War Against Railway Rowdy created for the protection of girls
'वॉर अगेंस्ट रेलवे राउडी', लड़कियों के लिए मददगार
'वॉर अगेंस्ट रेलवे राउडी', लड़कियों के लिए मददगार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। युवतियों और महिलाओं से छेड़छाड़ मुंबई की लोकल ट्रेन में आएदिन होती है।  लोकल ट्रेनें भीड़ से ठसाठस भरी रहती हैं। वैसे तो महिलाओं के लिए अलग डिब्बा होता है, फिर भी भीड़ की आवाजाही में या जनरल डिब्बों में अक्सर उनसे छेड़छाड़ हो ही जाती है। आरोपी की शिकायत करने के लिए कोई महिला पुलिस के पास जाए, तो सबूत मांगे जाते हैं। सबूत नहीं, तो शिकायत नहीं। सबूत की इस समस्या को दूर करने के लिए 35 साल के दीपेश टंक और उनके 10 साथियों ने ‘वॉर अगेंस्ट रेलवे राउडी’ शुरू किया।

धीरे-धीरे बन गई टीम: दीपेश का कहना है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया कांड हुआ और इसके बाद 22 अगस्त 2013 को मुंबई में शक्ति मिल गैंग रेप। इन दो घटनाओं के बाद ही मैंने जिम्मेदारी उठाने की ठानी और वॉर अगेंस्ट रेलवे राउडी शुरू किया। मेरा मकसद था कि ट्रेन में या प्लेटफॉर्म पर भीड़ का फायदा उठाकर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने वाले लोगों के मन में एक डर बैठे कि उनकी हरकतों पर लगातार किसी की नजर है। इस तरह की कोई हरकत होती देखता तो मैं उसका वीडियो बना लेता और पीड़ित लड़की को ले जाकर दे देता, ताकि उन्हें छेड़छाड़ की शिकायत करने में आसानी हो। कुछ ही समय में 10 और लोग मेरे साथ जुड़ गए और हमारी टीम बन गई।

युवतियां कतराती है कोर्ट-कचरहरी से : काम आसान बिल्कुल भी नहीं है। कई बार लोग हमसे झगड़ा कर बैठते हैं। मारपीट तक की नौबत आ जाती है, लेकिन हम अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटते। जब वॉर अगेंस्ट रेलवे राउडी शुरू किया, तो सबसे पहले मुंबई लोकल के उन स्टेशन का जायजा लिया, जहां ज्यादा भीड़ होती है। सांताक्रूज, मलाड, दादर, सीएसटी जैसे स्टेशनों पर रेलवे राउडी चलती ट्रेन में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ किया करते थे। इन स्टेशनों पर या ट्रेन के भीतर चुपके से हम वॉलंटियर्स इन हरकतों का वीडियो बनाने लगे। वीडियो बनाकर हम पीड़ित लड़की को या थाने में ले जाकर दे देते हैं। हमारी इस कोशिश की वजह से अब तक 140 मनचलों के खिलाफ आईपीसी की धारा 110 और आरपीएफ एक्ट के तहत मामला दर्ज हो चुका है। शुरू में हमारी शिकायतों पर पुलिस का रुख भी काफी ठंडा रहता था। लड़कियां भी कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने के डर से शिकायत करने में कतराती हैं। फिर भी मैं अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझता हूं और इसी वजह से अपने अभियान को जारी रखे हूं।" 

Created On :   18 Dec 2017 7:17 AM GMT

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