बारिश में भी नहीं बढ़ा कुओं का जलस्तर, संतरा उत्पादकों की समस्या बरकरार

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बारिश में भी नहीं बढ़ा कुओं का जलस्तर, संतरा उत्पादकों की समस्या बरकरार

डिजिटल डेस्क, अमरावती। इस वर्ष मानसून ने भले ही देरी से हाजिरी लगाई हो, लेकिन देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर विगत पांच दिनों से शहर सहित जिले में मूसलाधार बारिश ने अपनी हाजिरी दर्ज की है। जिले के धारणी, चिखलदरा, दर्यापुर, परतवाड़ा क्षेत्रों को छोड़ अन्य क्षेत्रों में बारिश तो हो रही है, लेकिन कई तहसीलों के कुओं का अभी भी जलस्तर नहीं बढ़ पाया है। दूसरी ओर विदर्भ का कॅलिफोर्निया कहलाने वाले वरुड व मोर्शी तहसील के संतरा उत्पादक किसानों को संतरे की बागायत के लिए कुएं एवं बोरवेल की पानी की आवश्यकता होती है किंतु यह बारिश भी कुओं का जलस्तर नहीं बढ़ा पाई है।

कृषि विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जिले के मोर्शी-वरुड़ तथा अन्य तहसील जहां पर जमीन के पानी पर किसानों व्दारा फसल ली जाती है, उन तहसीलों में कुएं तथा बोअरवेल में जलस्तर न बढ़ने के कारण आज भी संतरा उत्पादक-सिंचाई खेती करने वाले किसानों की चिंता बरकरार है।  वरुड़-मोर्शी तहसील में बड़े पैमाने पर संतरा, नींबू, मोसंबी जैसी फसल ली जाती है। इस वर्ष मानसून की देरी के कारण कई बागायतदारों को संतरे के पेड़ सूखने के कारण उन्हें तोडऩा पड़ा।
 
विगत पांच दिनों की बारिश से संबंधित किसानों के कुएं का जलस्तर नाममात्र ही बढ़ पाया है। उसी प्रकार अगर आगामी दो माह में बारिश कायम रही तो निश्चित तौर पर जलस्तर बढ़ेगा। बारिश अगर खंडित हो गई तो आगामी दिनों में भी संबंधित तहसीलों के किसानों की चिंता कायम रहेगी। उसी प्रकार जो किसान कुएं तथा बोअरवेल के माध्यम से सिंचाई कर फसल उगाते हैं, उनकी भी चिंताजनक स्थिति रह सकती  है। कृषि विभाग ने यह भी बताया कि पर्याप्त बारिश अगर आगामी दो माह में होती है तो चिंता की कोई बात नहीं रहेगी ।

दो माह बारिश जरूरी

वरुड व मोर्शी तहसील में कुएं व बोअरवेल का जलस्तर बढऩे के लिए इसी तरह दो माह तक बारिश की आवश्यता है। तभी भूजलस्तर बढ़ सकता है।

- अनिल खर्चान, कृषि उपसंचालक, अमरावती

Created On :   1 Aug 2019 8:15 AM GMT

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