दोनों शिवसेना की तरफ से हुई शिकायत

डिजिटल डेस्क, मुंबई. विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और सदन में विश्वास मत पर हुए मतदान के दौरान व्हीप (पार्टी आदेश) के उलंघन को लेकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और शिवसेना (शिंदे) की गुट की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई शुरु की गई है। पहले शिंदे गुट ने शिवसेना के 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी पर अब सोमवार को आदित्य ठाकरे सहित 15 शिवसेना विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। सोमवार को शिंदे सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव से पहले रविवार की रात नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायक अजय चौधरी को गट नेता पद और सुनील प्रभू की मुख्य सचेतक (व्हिप) के पद पर हुई नियुक्ति को रद्द विधायक दल नेता पद पर एकनाथ शिंदे और मुख्य सचेतक के तौर पर भरत गोगावले की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इसके अनुसार सोमवार को होने वाले विश्वास मत प्रस्ताव के लिए गोगावले ने शिवसेना विधायकों को व्हीप जारी किया था। पर आदित्य ठाकरे सहित शिवसेना के 15 विधायकों ने शिंदे के विश्वास मत प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। अब इसको लेकर गोगावले ने विधानसभा अध्यक्ष के यहां इन 15 विधायकों के खिलाफ शिकायत की है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि व्हीप का उलंघन करने वाले 15 विधायकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी।
व्हीप का उलंघन करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाईः आदित्य ठाकरे
दूसरी तरफ शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे ने भी पार्टी व्हिप का उलंघन करने वाले 40 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के 40 बागी विधायकों के शिंदे गुट में जाने से कुछ लोग समझ रहे हैं कि शिवसेना खत्म हो गई पर शिवसेना कभी खत्म नहीं होगी। हमनें बगावत करने वाले 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस पर 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है।
यह लोकतंत्र की हत्याः प्रभू
विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर द्वारा एकनाथ शिंदे को शिवसेना गट नेता और भरत गोगावले को मुख्य सचेतक के तौर पर मान्यता दिए जाने से नाराज शिवसेना विधायक सुनील प्रभू ने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा कि 40 विधायकों ने बगावत की है, उन्हें अलग गुट के तौर पर वे सदन में बैठ नहीं सकते। उन्हे किसी राजनीतिक दल में विलय करना होगा। लेकिन संविधान को ताक पर रख कर विधानमंडल का कामकाज चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा विस अध्यक्ष के मान्यता देने का मामला
सुप्रीम कोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के गुट के नए मुख्य सचेतक को मान्यता देने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे के गुट की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि नई याचिका पर लंबित अन्य मामलों के साथ 11 जुलाई को उसी पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने कहा, कि सचेतक को मान्यता देना विस अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह इस अदालत के समक्ष कार्यवाही की यथास्थिति को बदल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने आधी रात को नए सचेतक की नियुक्ति की। इस पर न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा कि अभी मेरे समक्ष दस्तावेज मौजूद नहीं है। इन सब पर 11 जुलाई को ही सुनवाई करते हैं।
शिंदे गुट नहीं कर सकता मूल शिवसेना होने का दावाः राऊत
शिवसेना सांसद संजय राऊत ने सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि समूह मूल शिवसेना होने का दावा नहीं कर सकता। राऊत ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इन विधायकों (शिंदे गुट के) को खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के चिन्ह और इसके साथ मिलने वाले सभी लाभों का इस्तेमाल किया और फिर उसी पार्टी को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि हम निश्चित रूप से इसे अदालत में चुनौती देंगे। शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़ दी, फिर वे कैसे दावा कर सकते हैं कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला समूह नहीं बल्कि उनका समूह मूल पार्टी है। ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है।
Created On :   4 July 2022 9:10 PM IST