सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर आदेश क्यो जारी नहीं कर रहा आयोग? - HC

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मतदान के 48 घंटे पहले सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों के नियंत्रण को लेकर आदेश जारी न करने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर आयोग इस विषय पर चार लाइन का आदेश जारी करने में हिचकिचाहट क्यो दिखा रहा है? मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटिल व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने कहा कि आखिर चुनाव आयोग को सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनो पर नियंत्रण के लिए आदेश जारी करने के लिए सुनवाई कितनी बार टाली जाए? मामले को लेकर आयोग के रुख से खिन्न खंडपीठ ने कहा कि अब हम खुद इस प्रकरण को लेकर आदेश जारी करेंगे। इससे पहले आयोग की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रदीप राजगोपाल ने कहा कि फेसबुक, यू-ट्यूब व अन्य माध्यमों ने विज्ञापनों के नियंत्रण के लिए खुद एक संहिता तैयार की है। जिसे आयोग ने लागू करने को कहा है। इसके अलावा इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ने भी विज्ञापनों को नियंत्रित करने की दिशा में सहयोग का आश्वासन दिया है। आयोग निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि आयोग इस मामले में क्या कर रहा है? वह सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों पर नियंत्रण के लिए चार लाइन का आदेश जारी करने में हिचकिचाहट क्यों दिखा रहा है? हम इस मामले में आयोग के रुख पर हैरान हैं।
चुनाव आयोग के रवैए पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
वहीं याचिकाकर्ता के वकील अभिनव चंद्रचूड ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 ए के तहत आयोग के पास राजनीतिक विज्ञापनों पर लगाम लगाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों न्यूज़ीलैंड में एक मस्जिद में फायरिंग की घटना से जुड़ी सोशल मीडिया पर फैलाई गई झूठी खबरों को कुछ मिनटों में सोशल मीडिया से हटा दिया गया था। लेकिन यहां पर इस काम के लिए तीन घंटे लगते हैं। इसलिए फेसबुक, यूट्यूब व अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया जाए। मतदान के 48 घंटे पहले राजनीतिक विज्ञापनों के सोशल मीडिया पर प्रसारण पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर पेशे से वकील सागर सूर्यवंशी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
Created On :   26 March 2019 9:13 PM IST