अंडरटेकिंग के बाद भी क्यों की गई शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई?

Why was action taken against liquor contractors even after undertaking?
अंडरटेकिंग के बाद भी क्यों की गई शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई?
अंडरटेकिंग के बाद भी क्यों की गई शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई?

वाणिज्य कर के पीएस और आबकारी आयुक्त के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने संबंधी अर्जी पर हाईकोर्ट का नोटिस डिजिटल डेस्क जबलपुर । पिछली पेशी पर दी गई अंडरटेकिंग के बाद भी कुछ शराब ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को हाईकोर्ट ने मंगलवार को काफी गंभीरता से लिया। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने एक दर्जन मामलों पर करीब दो घंटों तक चली सुनवाई के बाद उस अर्जी पर नोटिस जारी किए, जिसमें वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव और आबकारी आयुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई चलाए जाने की प्रार्थना की गई है। युगलपीठ ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने पर बुधवार को होने वाली अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। साथ ही ठेकेदारों से पूछा है कि जो भी शासन की शर्तों को मानने तैयार हैं, वो अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
माँ वैष्णो इंटरप्राईजेस व अन्य शराब ठेकेदारों की ओर से दायर इन मामलों में वर्ष 2020-2021 के लिए अपनाई गई टेंडर की प्रक्रिया को कटघरे में रखा गया है। ठेकेदारों ने राहत चाही है कि सरकार या तो उनसे ली गई राशि को लौटाकर फिर से टेण्डर कराए या फिर उनसे ली गई बिड की राशि सरकार द्वारा घटाई जाए। इन मामलों पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, नमन नागरथ, अधिवक्ता संजय अग्रवाल, संजय के वर्मा, राहुल दिवाकर, कपिल बाधवा, गुंजन चौकसे, शांतनु श्रीवास्तव, एमपीएस रघुवंशी व आलोक कटारे और राज्य सराकर की ओर से सॉलिसिटर जनरल ऑफ इण्डिया तुषार मेहता, महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, एएजी सौरभ मिश्रा व अधिवक्ता कनु अग्रवाल ने पक्ष रखा।
े88 फीसदी ठेकेदारों ने ठुकराई शासन की पेशकश याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी का कहना था कि 4300 करोड़ रुपए के कुल ठेकों में से 3800 करोड़ वाले 30 ठेकेदारों ने अपनी शराब दुकानें नहीं खोलीं। इतना ही नहीं, शासन द्वारा की गई पेशकश को 88 फीसदी ठेकेदारों ने ठुकरा दिया। पिछली पेशी पर दी गई अंडरटेकिंग के बाद भी कुछ ठेकेदारों को धमकाया गया कि वे अपनी-अपनी दुकानें खोलें। यह सीधा-सीधा अवमानना का मामला है, जो अपराध की श्रेणी में आता है।
सुनवाई में आईं तकनीकी रुकावटें: मामलों पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान 11:24 से 11:32 बजे तक कई बार तकनीकी रुकावटें आईं। बार-बार वकीलों
को कहना पड़ा कि उनकी आवाज आ रही है या नहीं। 11:35 बजे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बताया कि 12 बजे से उन्हें सीजेआई की बैंच के सामने पक्ष
रखना है, इसलिए वो आगे पक्ष नहीं रख पाएंगे। 11:50 पर श्री रोहतगी के लॉगआउट होने के बाद युगलपीठ ने अपना अंतरिम आदेश सुनाकर सुनवाई बुधवार तक
के लिए मुलतवी कर दी।
 

Created On :   3 Jun 2020 2:05 PM IST

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