- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- पत्नी अर्धांगिनी, इसलिए वह पति की...
पत्नी अर्धांगिनी, इसलिए वह पति की सबसे उपयुक्त संरक्षक
डिजिटल डेस्क, मुंबई। पत्नी अपने पति की सबसे उपयुक्त सरंक्षक होती हैं। क्योंकि पत्नी को अपने पति की सहधर्मिनी व अर्धांगिनी कहा जाता है। ऐसे में वह अपने पति की सबसे उपयुक्त सरंक्षक हो सकती हैं। यह बात कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी को कोमा में पड़े कारोबारी पति का सरंक्षक नियुक्ति किया है। पति के इलाज का खर्च वहन करने व घर चलाने में आ रही दिक्कत के चलते पत्नी ने खुद को अपने पति का सरंक्षक नियुक्त किए जाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में महिला ने दावा किया था कि जॉगिंग के दौरान उसके पति को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। काफी समय तक इलाज के बाद भी पति की सेहत में सुधार नहीं आया है। वे पूरी तरह बेसुध अवस्था में हैंऔर बोल भी नहीं पाते है। अब अस्पताल से छुट्टी हो गई है। पति के इलाज के लिए घर को एक नर्सिंग होम में बदला गया है। याचिका के मुताबिक उसके ऊपर अपने दो बेटों व सास की जिम्मेदारी है। वित्तीय परेशानी के चलते उसे यह जिम्मेदारी निर्वहन करने में दिक्कत हो रही हैं। इसलिए उसे अपने पति का सरंक्षक नियुक्त किया जाए। न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव के खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट ने पत्नी को नियुक्त किया कोमा में पड़े पति का संरक्षक
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (पत्नी) 20 सालों से अपने पति के साथ रह रही हैं। यह अवधि संबंधो की स्थिरता का आकलन करने के लिए पर्याप्त है। विवाह दो आत्माओं का साथ होता है। पत्नी को सिर्फ पत्नी नहीं धर्म पत्नी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि वह पति के धर्मो का निर्वहन कर सकती है। डॉक्टरों की रिपोर्ट याचिकाकर्ता के पति की हालात ठीक न होने की बात कह रही हैं। इस स्थिति में पत्नी अपने पति की सबसे उपयुक्त सरंक्षक हो सकती है। इसलिए याचिकाकर्ता को अपने पति का सरंक्षक नियुक्त किया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र विधि सेवा प्राधिकरण का एक प्रतिनिधि याचिकाकर्ता की सरंक्षक की भूमिका की निगरानी करें।
Created On :   27 Aug 2020 9:22 PM IST