अनधिकृत इमारत को एक बेगुनाह की भी जान नहीं लेने देंगे

Will not allow unauthorized building to kill even an innocent - High Court
 अनधिकृत इमारत को एक बेगुनाह की भी जान नहीं लेने देंगे
हाईकोर्ट  अनधिकृत इमारत को एक बेगुनाह की भी जान नहीं लेने देंगे

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि हम अनधिकृत इमारतों को एक बेगुनाह शख्स की भी जान नहीं लेने देंगे। आखिर मानसून के दौरान स्थानीय निकायों को अनधिकृत ढांचे के खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों रोका गया है? हाईकोर्ट ने यह बात अनधिकृत इमारतों को गिराने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में ठाणे जिला के मुंब्रा इलाके में स्थित नौ अनधिकृत इमारतों को गिराने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि इन इमारतों में कई परिवारों के लोग रहते है। इसलिए किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए तुरंत अनधिकृत इमारतों को गिराने का निर्देश दिया जाए। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि आखिर राज्य सरकार की ओर से 1998 में जारी किया गया शासनादेश स्थानिय निकायों को मानसून के दौरान अनधिकृत ढांचों को गिराने से क्यों रोकता है। क्या बारिश के समय अनधिकृत ढांचे को गिराना जोखिम भरा होता है? आखिर सरकार की ओर से इस तरह का शासनादेश जारी करने के पीछे क्या तर्क है। इससे पहले खंडपीठ को बताया गया कि मुंब्रा में साल 2013 में लकी कंपाउंड की अनधिकृत इमारत गिराने से 76 लोगों की मौत हो गई थी। 

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता नीता कर्णिक ने खंडपीठ के सामने कहा कि ठाणे महानगरपालिका ने नौ अनधिकृत इमारतों को कई नोटिस जारी की है ।यहां तक की वहां की बिजली भी काट दी गई है। पानी कनेक्सन भी नहीं है। फिर भी लोग वहां पर रह रहे है और वहां के निवासियों ने अवैध रुप से बिजली व पानी की भी व्यवस्था कर रखी है। उन्होंने कहा कि इमारत जर्जर अवस्था में है और वह रहने योग्य नहीं है। 

वहीं ठाणे मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राम आप्टे ने कहा कि मनपा ने अनधिकृत इमारतों को अनेकों नोटिस भेजी है लेकिन वह रह रहे लोग इमारत खाली करने को तैयार नहीं है। इमारत में रह रहे लोगों की ओर से पैरवी कर रहे वकील सुहास ओक ने खंडपीठ से इस मामले में मानवीय रुख अपनाने का आग्रह किया और कम से कम मानसून खत्म होने तक महानगरपालिका को कार्रवाई करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की। इस पर खंडपीठ ने कहा कि हम मानवीय रुख के तहत चाहते है कि इमरात में रह रहे लोग जीवित रहे। यदि एक इमारत गिरेगी तो कई लोगों का जीवन खत्म हो जाएगा इसका असर बगल की इमरात पर भी पड़ेगा। अब हम अनधिकृत इमरात को एक बेगुन्हा व्यक्ति की भी जान नहीं लेने देगे। खंडपीठ ने अनधिकृत इमारत में रहनेवाले लोगों को निर्देश दिया है कि वे लिखित रुप से आश्वासन दे कि 31 अगस्त तक इमारत को खाली कर देंगे। खंडपीठ ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को लेकर नीति बनाएगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तब तक अनधिकृत इमारत में रहने की इजाजत दी जाए। 
 

Created On :   14 July 2022 8:54 PM IST

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