कैद में रहेगी 'आदमखोर' बाघिन या मिलेगी आजादी ?

Will the man-eating tigress or freedom be in captivity?
कैद में रहेगी 'आदमखोर' बाघिन या मिलेगी आजादी ?
कैद में रहेगी 'आदमखोर' बाघिन या मिलेगी आजादी ?

डिजिटल डेस्क,नागपुर। ब्रह्मपुरी जंगल से पकड़ी गई आदमखोर बाघिन को जंगल में छोड़ा जाए या पिजरे में ही रखा जाए इस बात पर फैसला लेने के लिए वन विभाग ने राज्य स्तरीय समिति गठित की है।

जीरो माइल स्थित वन विभाग के कार्यालय में हुई बैठक में समिति सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखे। समिति के 6 सदस्यों में से 4 ने बाघिन को जंगल में दोबारा छोड़ने की बात कही। वहीं 2 सदस्यों ने बाघिन को पिंजरे में ही रखे जाने पर सहमति जताई। अब समिति अध्यक्ष अपनी रिपोर्ट वन्यजीव शाखा के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक को सौंपेगे, जिसके बाद फैसला किया जाएगा कि बाघिन को दोबारा जंगल में छोड़ना है या नहीं।

नहीं बनी एक राय

समिति में सभी सदस्यों के एक मत नहीं होने से एक पुख्ता राय नहीं बन पाई। बैठक में बाघिन को जंगल में छोड़ने के पक्ष में बोलने वालों ने बाघिन के लड़कपन की उम्र पर विशेष जोर दिया। युवा या बड़े हो रहे शावकों को नए इलाके  में स्थायी होने में समय लगता है। इस दौरान टी-27 शावक-1 के ऐतिहासिक रिकॉर्डों को भी खंगाला गया। जिसमें इंसानों पर हमला करने की कोई घटना नहीं होने के चलते उसके बर्ताव को सहज माना गया। वहीं विरोध में बोलने वाले दो सदस्यों ने पहले छोड़े गए बाघों के रिकार्डों का हवाला देते हुए उसे कैद में ही रखने की राय दी।

जोखिम नहीं उठाना चाहते
बाघिन को छोड़ने का मामला राजनीतिक दबाव में भी उलझा हुआ है। पिछली सरकार के समय स्वयं मुनगंटीवार और शोभा फडणवीस की मांग पर बाघों को पकड़कर कैद में रखा गया था। अब विरोधी नेता इस बाघ को खतरनाक बताते हुए कैद में रखने की मांग कर रहे हैं। वहीं बाघिन के चंचल स्वभाव को देखते हुए वनाधिकारी भी अपने जंगल में उसे रखने का जोखिम उठाना नहीं चाहते।

Created On :   15 July 2017 4:56 PM IST

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