धान की रोपाई के लिए नहीं मिल रहे मजदूर

डिजिटल डेस्क, गोंदिया. जिले में 2 लाख से भी अधिक धान उत्पादक किसान हैं, जो धान की खेती पर निर्भर हैं, लेकिन वर्तमान में ऐसे हजारों किसान हैं, जिन्हें धान रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। यदि समय पर धान की रोपाई नहीं की गई तो धान नर्सरी खराब हो जाएगी और खेती पड़ी रह जाएगी, यह चिंता अब किसानों को सताने लग गई है। बता दें कि इस वर्ष 1 लाख 77 हजार 726 हेक्टेयर पर धान की रोपाई किए जाने का नियोजन जिला कृषि विभाग की ओर से किया गया है। किसानों ने धान रोपाई के लिए 20 जून के बाद धान की नर्सरी लगाई है। धान की नर्सरी तैयार होने में लगभग 10 से 15 दिन का समय लग जाता है। उसके बाद धान की नर्सरी को खोदकर उसकी रोपाई करना आवश्यक हाे जाता है। किसानों ने जुलाई के प्रथम सप्ताह से ही धान की रोपाई का काम शुरू कर दिया है। लेकिन धान रोपाई के लिए अभी भी हजारों किसानों को खेतीहर मजदूर नहीं मिल रहे हैं।
जबकि किसानों का कहना है कि धान की नर्सरी पूर्ण रूप से रोपाई के लिए तैयार हो चुकी है। यदि समय पर धान की रोपाई नहीं की गई तो नर्सरी का कालावधी समाप्त हो जाएगा और वह कोई काम की नहीं रहेगी। ना ही अब समय रहेगा कि फिर से धान की नर्सरी लगाकर रोपाई की जाए। मजदूर नहीं मिलने के कारण किसानों में अब चिंता यह सताने लग गई है कि कहीं मजदूरों के अभाव में हजारों एकड़ खेती पड़ीत न रह जाए।
मजदूर कर रहे "ओवरटाइम'
जिले में मजदूरों की कमी होने के कारण अब जो जरूरतमंद मजदूर है वे ओवरटाइम काम कर धान की रोपाई कर रहे हैं। बताया गया है कि सुबह 6 बजे से 9 बजे तक खेतों में जाकर धान की रोपाई कर घर लौट रहे हैं। उसके बाद फिर से दूसरे किसानों के खेतों में जाकर शाम 5 बजे तक खेती का काम कर किसानों को राहत दे रहे हंै। इस तरह स्थिति गोंदिया जिले के किसानों पर आन पड़ी है। भविष्य में खेती करना किसानों के लिए कितना कठिन होगा यह उपरोक्त स्थिति को देखते हुए सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वर्तमान में धान की रोपाई करने वाली महिला मजदूरों को 150 रुपए प्रति दिन, ट्रैक्टर से कीचड़ करने के लिए 700 से 800 रुपए प्रति घंटे के हिसाब से मेहनताना दिया जा रहा है।
Created On :   15 July 2022 6:13 PM IST