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भागवान बनने के लिए आराधना और साधना की अत्यंत आवश्यक -सुवीरसागर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भागवान बनने के लिए भगवान की आराधना और साधना जरूरी है। यह उद्गार आचार्य सुवीरसागर ने अपने प्रवचन में श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर महावीर नगर में व्यक्त किए। उन्होंने कहा, घर में रहते हुए आत्मा, तीन काल में भी भगवान नहीं बनेगी। तीर्थंकर महावीर ने बाल-ब्रह्मचारी रहकर, घर का त्याग कर जैनेश्वरी दिगंबरी दीक्षा धारण कर साधना की और आत्मा को परमात्मा बना दिया। भगवान तक पहुंचना आसान है, परंतु भगवान बनना अत्यंत कठिन है। इंद्रध्वज विधान परमात्मा बनने की प्राथमिक क्रिया है।
प्यासे को पानी पिलाना, भूखे को राटी खिलाना भी एक करुणा दान है। जैन धर्म में जन्म हुआ यह भाग्य है और भगवान की आराधना कर पाना परम भाग्य है। पुण्य करोगे तो पुण्य मिलेगा। आचार्य शिवकोटी कहते हैं अन्य क्षेत्रों में किए गए पाप धर्म क्षेत्र में नाश होते हैं। धर्म क्षेत्र में किए गए पाप को नाश करने के लिए अथक प्रयास करना होगा। वीतराग भगवान के पास वीतरागता ही मिलेगी। नग्न दिगंबर जैन दीक्षा धारण करके ही सच्चा मोक्ष मार्ग मिलेगा। यहीं से मोक्षमार्ग प्रारंभ हुआ है। कपड़े पहनने से व घर में बैठ कर तीन काल में भी मोक्ष नहीं होगा। साधु से जुड़ोगे, तो साधु बनोगे। मोक्ष चाहते हो और भोगों में पड़े हो, तो त्रिकाल में भी मोक्ष प्राप्त नही होगा।
चित्र अनावनण एवं दीप प्रज्वलन सौधर्म इंद्र भुपाल सावलकर, यज्ञनायक मणिलाल जैन, चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष पवन जैन कान्हीवाड़ा, कार्याध्यक्ष सतीश जैन पेंढारी, महामंत्री पंकज बोहरा, मंत्री जय मामू, विजय सोईतकर, प्रदीप काटोलकर, गिरीश हनुमंते, दिनेश जैन, राजेंद्र बंड, कैलासचंद जैन, सुधीर सावलकर व नरेंद्र तुपकर ने किया। चरण प्रक्षाल भुसारी ताई व विजय सोईतकर ने किया। प्रमुखता से चातुर्मास कमेटी के प्रचार प्रसार मंत्री हीराचंद मिश्रीकोटकर, धनराज दोशी, कस्तूरचंद भायजी, अरुण श्रावणे, सरोज मिश्रीकोटकर, प्रतिभा जैन, सुधा चौधरी व शिल्पा श्रावणे उपस्थित थे।
इंद्रध्वज विधान
आचार्यश्री सुवीरसागर ससंघ के सान्निध्य में महावीर नगर मंदिर में इंद्रध्वज विधान प्रारंभ हुआ। इंद्रध्वज विधान की विधि मंगल कलश स्थापना, मंडप शुद्धि, मंडल प्रतिष्ठा, इंद्र प्रतिष्ठा, सकलीकरण आदि धर्मानुरागी विधानाचार्य संजय सरस ने संपन्न कराई। संगीतकार कुलदीप जैन भोपाल ने विधान को संगीतमय कर दिया। ध्वजारोहण बबनराव धुमाल परिवार ने किया।
Created On :   5 Nov 2019 11:48 AM IST