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आदिवासी गांव में युवाओं ने तोड़ी सदिया पुरानी कुरीति, शराब मुक्ति के निपटा रहे विवाह समारोह
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। आदिवासी समाज में विवाह समेत किसी भी उत्सव में शराब न हो तो, उत्सव बेरंग होता है, ऐसी मान्यता होकर यह परंपरा सदियोंं से चली आ रही है। इस परंपरा का इतिश्री करने का बीड़ा गांव के ही युवाओं ने उठाते हुए बिना शराब के विवाह समारोह संपन्न कराने का निर्णय लिया।
तहसील के सातपुती गांव में हाल ही में संपन्न हुए चार आदिवासी युवाओं के विवाह समारोह में वधू पक्ष और वर पक्ष के मेहमानों को शराब का सेवन न करने की स्पष्ट सूचना दी गई, जिससे इस गांव में बिना शराब के विवाह समारोह उत्साहपूर्वक संपन्न हुए। इसी तरह गहानेगाठा, साल्हे और बोडेना गांव में भी शराबमुक्त विवाह समारोह संपन्न कराए गए।
बता दें कि, इन आदिवासियों ने गांवों में न केवल शराबबंदी की है, बल्कि विवाहित जीवन की शुरुआत करनेवाले वर-वधू को भी शराब से दूर रखने के लिए यह अनोखा उपक्रम शुरू किया है। फलस्वरूप कोरची तहसील के इन गांवों द्वारा लिया गया यह निर्णय अन्य आदिवासी गांवों के लिए प्रेरणादायी साबित होगा। गड़चिरोली जिले में सर्वाधिक क्षेत्र में आदिवासी समाज बसा हुआ है। इस समाज में होने वाले उत्सव और विवाह समारोह में शामिल होनेवाले समाज के अधिकांश लोग शराब का सेवन करने के बाद ही शामिल होते हैं। इतना ही नहीं यदि किसी का निधन भी हुआ तो शव को श्मशानघाट तक ले जाने वाले लोग पहले ही शराब का सेवन किए होते हैं। इस समाज में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। विवाह समारोह में पुरुषों के साथ महिलाएं भी शराब का सेवन करती हैं। जिसके कारण विवाह समारोह के दौरान अनेक बार विवाद होते हैं। वहीं दूसरी ओर युवा पीढ़ी को शराब की लत लगती है।
इस पुरानी परंपरा को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए कोरची तहसील के आदिवासी गांवों ने अनोखा उपक्रम चलाया है। इस संबंध में आदिवासी समाज में विवाह के चलते ग्रामीणों की एक सभा आयोजित की जाती है। ऐसी ही एक सभा सातपुती गांव में ओमप्रकाश कल्लो के विवाह समारोह हेतु आयोजित की गई थी। सभा में ओमप्रकाश ने विवाह के दौरान कोई भी शराब का सेवन नहीं करेगा, ऐसी शर्त रखी थी, जिसे ग्रामीणों ने समर्थन दर्शाया। और उसका विवाह शराबमुक्त संपन्न कराया गया। इसके साथ ही इसी गांव के अशोक नरूटी, दशरथ नरूटी, विनंता नरूटी आदि के विवाह में भी शराब का सेवन नहीं हुआ। इसके अलावा परिसर के गहानेगाठा निवासी अनिल पोरेटी, साल्हे गांव निवासी ललिता काटेंगे समेत बोडेंना गांव निवासी मडावी परिवार ने भी विवाह समारोह में शराब का सेवन नहीं होने दिया। जिसके कारण इन युवाओं का विवाह समारोह आनंदमय वातावरण में संपन्न हुआ।
मुक्तिपथ की जनजागृति रंग लायी
बता दे कि, आदिवासी गांवों में समाज के लोगों में शराबबंदी संदर्भ में जनजागृति करने के लिए मुक्तिपथ संगठन ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। संगठन ने न केवल लोगों में जनजागृति की, बल्कि गांव-गांव में महिला और युवाओं की गांव समिति गठित कर गांव में पूर्णत: शराबबंदी करने का निर्णय लिया है। यही वजह है कि, वर्तमान स्थिति में जिले के सैकड़ों गांव शराबमुक्त हो रहे है। वहीं दूसरी ओर गांवों मेंं गठित समितियों द्वारा अवैध शराब विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का सिलसिला शुरू है। जिसके कारण आदिवासी गांवों में चोरी-छिपे शराब की बिक्री अथवा तस्करी करनेवालों में खलबली मची गयी है।
Created On :   5 Jun 2019 3:57 PM IST