कर्नाटक चुनाव के बाद विपक्षी एकता की मुहिम को मिलेगी रफ्तार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, अजीत कुमार। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे न केवल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होंगे, बल्कि विपक्षी एकता की चल रही मुहिम भी इससे खासी प्रभावित होगी। अगर कर्नाटक में कांग्रेस जीत हासिल करती है, तो इससे पार्टी को नई संजीवनी तो मिलेगी ही, साथ ही भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता में उसकी भूमिका भी बढ़ जाएगी। इस बीच विपक्षी एकता की कोशिश में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलने भुवनेश्वर जा रहे हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी सचिव आशीष दुआ कहते हैं कि है कि कर्नाटक की जीत यह भी संदेश देगी कि भाजपा को हराने की क्षमता कांग्रेस में ही है। मतलब यह कि विपक्षी एका की कवायद में तब कांग्रेस की भूमिका ज्यादा प्रभावी होगी। लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस हारती है तो पार्टी को एक तो आगामी चुनावों में मशक्कत करनी पड़ेगी और दूसरे सीट बंटवारे में उसे फिर क्षेत्रीय दलों की बात माननी पड़ेगी। लिहाजा कर्नाटक में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपनी ताकत झोंक दी है।
15 मई के बाद पटना में होगी अहम बैठक
जद (यू) के महासचिव हर्षवर्धन सिंह कहते हैं कि कर्नाटक चुनाव के बाद विपक्षी एकता की मुहिम को रफ्तार मिलेगी। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से कर्नाटक के नतीजे का असर विपक्षी एकता पर पड़ेगा। विपक्षी एकजुटता बनाने के मकसद से नीतीश कुमार मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलेंगे। लेकिन देखना दिलचस्प रहेगा कि नीतीश कुमार विपक्षी खेमे में नवीन बाबू को लाने में कामयाब होते हैं या नहीं। उन्होंने बताया कि मई के तीसरे सप्ताह में पटना में विपक्षी दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। इस बैठक में भाजपा के खिलाफ देशव्यापी महागठबंधन बनाने पर विस्तार से चर्चा होगी।
उद्धव और पवार से भी मिलेंगे नीतीश
जदयू नेता ने बताया कि नीतीश कुमार पटना बैठक से पहले शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और राकांपा सुप्रीमों शरद पवार से मिलने मुंबई जाएंगे। पटना बैठक के बाद जून के अंत या जुलाई के प्रारंभ में एक विपक्षी मंच बनाने की तैयारी है। बता दें कि विपक्षी एका के बहाने नीतीश अब तक मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी और डी राजा से मुलाकात कर चुके हैं। 2024 आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष का साझा उम्मीदवार उतारने के नीतीश के फार्मूले का ममता बनर्जी ने भी समर्थन दिया है। लेकिन इस फार्मूले पर अमल उतना आसान नहीं है। पश्चिम बंगाल और केरल में ही इस फार्मूले को लेकर ज्यादा खींचतान होने वाली है। कम्युनिस्ट पार्टियों का इन दोनों राज्यों में ही कुछ आधार है। लेकिन पश्चिम बंगाल में उन्हें ममता बनर्जी भाव नहीं दे रही तो केरल में कांग्रेस उनके लिए रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं है।
Created On :   8 May 2023 8:37 PM IST