पन्ना: आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य: विराग सागर जी महाराज

आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य: विराग सागर जी महाराज

डिजिटल डेस्क, सलेहा नि.प्र.। पर्यूषण पर्व के अवसर पर श्रेयांश गिरी में चातुर्मास कर रहे प्रसिद्ध जैन संत द्वारा धर्म पर्व पर विशेष सभा में पहँुचने वाले श्रद्धालुओं को आर्शीर्वाद वचन दिए जा रहे है। उन्होंने आज कहा ब्रह्मचर्य ब्रह्म यानि आत्मा में रमण करना ही ब्रह्मचर्य है मन रूपी जल के स्थिर होने पर निर्मल भाव में आत्मा ब्रह्म दिखाई देता है। आपने बताया कि मन इतना चलायमान हो गया है कि दृष्टि पड़ते ही अंदर ही वासनाएं जागृत हो जाती है इसका मुख्य कारण है प्राचीन धर्म संस्कारों, नैतिक संस्कारों मर्यादा आदि का अभाव तथा पश्चात्य संस्कृति का प्रभाव होता है आगे पूज्य श्री ने बताया आज के बच्चे सबसे अधिक मोबाइल से बिगड़ रहे है माता-पिता बच्चों को मोबाइल केवल उनकी जरूरत अध्ययन आदि के लिए देते हैं कितनी बार तो माता-पिता भी ऐसी संतानों को पाकर सोचते हैं न होती तो अच्छा रहता। जिसके कारण आज हमें सारी दुनिया के सामने सिर नीचा करना पढ़ रहा है। यदि आप चाहते हैं कि हमारे बच्चे हमारा नाम रोशन करें तो हम उन में एक ऐसे संस्कारों को जागृत करें जिससे उनके शील की रक्षा होती रहे। वे आपकी अनुमति बिना कोई गलत काम न उठाएं और सच्चे शील व्रत धारी संतों की श्रेष्ठ संगति कर उन जैसे आचरण रूप ब्रह्मचर्य व्रत को अंगीकार कर एक दिन निर्वाण को प्राप्त करें।

Created On :   28 Sept 2023 4:09 PM IST

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