Panna News: स्कूलों के जर्जर भवनों में पढऩे को मजबूर नौनिहाल, हादसे के इंतजार में सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती हकीकत

स्कूलों के जर्जर भवनों में पढऩे को मजबूर नौनिहाल, हादसे के इंतजार में सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती हकीकत
  • स्कूलों के जर्जर भवनों में पढऩे को मजबूर नौनिहाल
  • हादसे के इंतजार में सिस्टम
  • शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती हकीकत

Panna News: रैपुरा तहसील स्थित तीन स्कूलों में प्राथमिक, माध्यमिक एवं हाइस्कूलों की स्थिति दयनीय है। टपकती छत, छत से गिरते सीमेंट के टुकड़े और उखड़ते फर्श में पढ़ते बच्चे सरकार की शिक्षा नीति की हकीकत बयान करते हैं। एक ओर सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा का वादा तो करता है पर हकीकत इसके उलट है।

स्कूलों की वर्तमान स्थिति, बल्ली के सहारे रोक रखी है छत

रैपुरा कस्बे में स्थित शासकीय प्राथमिक कन्या शाला में शिक्षकों के बैठने की जगह पर छत की लोहे की गाटर क्षरण होते-होते गल कर टूट गई। ऐसी स्थिति में छत में लगे फर्शी पत्थर नीचे गिरने की कगार पर ही हैं। जिसके बाद स्कूल के ही शिक्षकों ने लकड़ी की बल्ली के सहारे छत को गिरने से रोक कर रखा है। पता नहीं कब यह छत नीचे आ जाए। इसके बाद शिक्षकों ने अपने कार्यालय और बच्चों को दी जाने वाली सामग्री एवं दस्तावेज बच्चों की एक कक्षा में रख लिए हैं। वहीं वह बच्चों को पढ़ाते भी हैं। समस्या यही खत्म नहीं होती। इन कमरों के ऊपर ही दो अन्य कक्षाएं चौथी व पांचवीं लगती है और ऊपर ही मध्यान भोजन वाली रसोई भी है। अब बच्चों को इसी टूटी हुई छत से होकर अपनी कक्षाओं में जाना होता है तो मध्याहन भोजन बनाने वाली महिलाएं भी रसोई में इसी छत से होकर जाती है। हालत यह है कि किसी भी समय छत गिर सकती है। स्कूल प्रबंधन ने बताया कि लकड़ी की बल्ली के सहारे छत गिरने से रोक रखी है। स्कूल में इतना बजट नहीं होता कि इसकी मरम्मत करा सकें।

छत की सरिया देती है दिखाई, बारिश में सीमेण्ट के टुकडे टूटकर गिरते हैं

रैपुरा संकुल स्थित शासकीय माध्यमिक शाला अधराड़ है। यहां दो कमरों में बच्चों को बैठने के लिए शासन ने बैंच की व्यवस्था तो की है लेकिन स्कूल के भवन की मरम्मत कराना भूल गए। दरअसल स्कूल के दो कमरों की छत से सीमेंट टूटकर नीचे गिरती है। कई कमरों में तो छत की लोहे की सरिया साफ देखीं जा सकती हैं। प्रधानाध्यापक ने बताया कि बारिश के दिनों हम बच्चों को यहां नहीं बैठाते। पानी तो आता है ही छत से गिरने वाले सीमेंट के टुकड़े भी एक खतरा हैं। बच्चों की पुस्तके एवं स्कूल के रिकॉर्ड रूम की हालत भी यही है जहां बड़ी मुश्किल से दस्तावेज, बच्चों को बांटने वाली पुस्तकें एवं सामग्री को बमुश्किल बचाए रखना पड़ता है।

महज आठ फीट में झूलते हैं बिजली के खुले तार

ग्राम में स्थित शासकीय माध्यमिक शाला में मुख्य गेट पर बिजली के खुले तार झूलते हुए मिले। यह महज आठ फीट की ऊंचाई पर झूल रहे थे वह भी एक बांस के सहारे नहीं तो यह पांच से छ: फिट पर आ जायेंगे। स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि बच्चों को हमेशा खतरा बना रहता है। बांस के सहारे लटक रहे तार कभी भी हवा में नीचे आ सकते हैं और हादसा हो सकता है।

इनका कहना है

कुछ स्कूल जो ज्यादा जर्जर स्थिति में हैं उनकी सूची हम भेज चुके हैं। अभी अन्य स्कूलों की स्थिति के लिए बोला गया है सोमवार तक सूची और आ जाएगी।

अमित श्रीवास्तव, बीआरसी शाहनगर

Created On :   6 Jun 2025 1:24 PM IST

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