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Panna News: पन्ना के सलेहा क्षेत्र में किसानों की आत्म निर्भरता की प्रतीक बनी पान की खेती

- पन्ना के सलेहा क्षेत्र में किसानों की आत्म निर्भरता की प्रतीक बनी पान की खेती
- पान की खेती से किसानों की जिदंगी में आई बदलाव की लहर, बंंग्ला पान की विदेशो में भी मांग
- पान उत्पादक किसानो के बेटे पढ़ लिखकर बने डॉक्टर व इंजीनियर
Panna News: पन्ना का पान पत्ता जिसमें छिपा एक अनोखा स्वाद इंद्रियो को तरोताजा कर देता है। पन्ना जिले के सलेहा क्षेत्र के ग्रामों कटरा, नयागांव, गंज, पटना तमोली में किसानो द्वारा खेती कर पान बरेजों में तैयार किया जाने वाले बंग्ला पान का पत्ता पान के शौकीनों के लिए पंसद की आदत बन चुका है और बंग्ला पान की पहुंच देश के अलग-अलग शहरों के साथ विदेशों मेें स्थापित हो रही है। बंग्ला पान की खेती अंचल के छोटे किसानों की जिदंगी में बडा बदलाव लाकर उन्हें आर्थिक निर्भर बना रही है। आर्थिक आत्म निर्भरता का संबल पाकर मध्यवर्गीय गरीब किसान अपने बच्चों को पढा लिखाकर काबिल बना रहे है। पान उगाने वालों किसानों के बेटे डॉक्टर, इंजीनियर, तहसीलदार, पटवारी, शिक्षक सहित अन्य पदों पर आसीन हो चुके है। पान की लाली की इस क्षेत्र के सैकडों किसानों की समृद्धि का प्रतीक बन गई है। पान की खेत करने वाले किसानों में अधिकांश किसान चौरसिया समाज के है। जिनका अथक परिश्रम किसानों के लिए प्रेरणादायक है।
बंग्लादेश तक पहुंचाते हैं यहा का पान खरीदकर व्यापारी
मोहक स्वाद खुशबू और इसकी गहरी लाली बंग्ला पान को विशेष पहचान दे रही है। स्थानीय पान व्यवसायी नारायण चौरसिया ने बताया कि इस क्षेत्र के पान बरेजो में उच्च स्तर के बंग्ला पान की खेती होती है जो एक बार इस पान को खा लेते है वह उसका स्वाद नहीं भूलते यही वजह है कि बंग्ला पान को व्यापारी यहां से खरीदकर ले जाते है जो कि भारत के विभिन्न राज्यों, महानगरों के साथ विदेशों तक पहुंच रहा है। भोपाल, ग्वालियर, लखनऊ, बनारस, प्रयाराज, कलकत्ता व बिहार के साथ बंग्लादेश में हमारे यहां पान की अच्छी डिमांड है
पढा लिखाकर बेटो को किसानों ने बनाया काबिल मिली नौकरियां
पान उत्पादक अपने खेत में पान बरेजे लगाकर पान उत्पादक किसान भागचंद चौरसिया बताते है कि पारंपरिक रूप से पान की खेती और पान का व्यवसाय हमारे समाज से जुडा रहा है। बंग्ला पान से हमारे पान को एक विशेष पहचान मिले जिसमें कम जमीन होने के बावजूद पान की पैदावार से ठीकठाक आय हो जाती है। पान से जो आय हुई उसे उन्होंने अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले इस कार्य में लगाया गया। उनका बडा पुत्र संदीप उच्चतर माध्यमिक शिक्षक तथा छोटा पुत्र शैलेन्द्र रेंजर बना गया है। नयागांव निवासी किसान अन्तराम चौरसिया गर्व से बताते है कि अपने खेत में २०-३० पारी लगाकर पान की खेती करता हंू अपने पान को स्थानीय मंडी में बेचते है इसी से अपने बेटो को पढ़ाया उनका बेटा दुर्गेश रेलवे में इंजीनियर है और अमरावती में पदस्थ है। नयागांव के ही अशोक चौरसिया बताते है कि पान बरेजे की खेती करने में पूरे परिवार के साथ मेहनत करते हैं। पत्नी व बच्चों का भी काफी सहयोग मिलता है। इसी पान की खेती की बदौलत अपने बेटों को पढ़ाया और उनका पुत्र देवकी नंदन दिल्ली में दूरसंचार विभाग में इंजीनियर है। पटना तमोली निवासी कृषक राम चौरसिया ने बताया कि घर की माली हालत को मजबूत करने के लिए पानी की खेती शुरू की और अपने पानो को मंडी ले जाकर बेंचते है अपने बेटे मनीष को इससे हुई आय से पढाया जो कि सीएम राइज स्कूल गुनौर में शिक्षक है।
पान का सांस्कृतिक एवं धार्मिक है महत्व
पान का धार्मिक महत्व है स्कंद पुराण अनुसार समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का उपयोग किया जाता है यह मान्यता है कि पान के पत्ते में देवी-देवताओं का वास होता है। शुभ एवं पूजा कार्याे में पान को चढ़ाया जाता है पान वीरा शक्ति और आशीर्वाद का भी प्रतीक रहा है। इसलिए इसे भेंट करने की भी परंपरा रही है। पान के पत्तों में पोषक तत्व टैनिन, प्रोपेन, एल्केलाइडसफिनाइल पाए जाते है। इतिहास एवं परंपराओ से गहरा संबंध रहा है। पान को तांबू पक्कू, नागवेल और नागुरवेल आदि नामो से जाना जाता है।
Created On :   3 March 2025 12:43 PM IST