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Panna News: अपर कलेक्टर न्यायालय द्वारा विवादित एवं निजी दर्ज भूमि को पुन: शासकीय भूमि घोषित किया गया

- अपर कलेक्टर न्यायालय द्वारा विवादित एवं निजी दर्ज भूमि को पुन: शासकीय भूमि घोषित किया गया
- राजस्व कर्मचारियों द्वारा बगैर सक्षम आदेश एवं प्रकरण के दर्ज की गई थी प्रथम प्रविष्टि
Panna News: अपर कलेक्टर न्यायालय द्वारा विवादित निजी भूमि के एक प्रकरण में सुनवाई कर तथा राजस्व अभिलेख की जांच के आधार पर आज पुन: निजी दर्ज भूमि को शासकीय भूमि दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है। इसके पहले भी 11 दिसम्बर 2020 को शासकीय भूमि दर्ज करने का आदेश पारित किया गया था लेकिन अपीलार्थियों द्वारा कमिश्नर न्यायालय सागर में अपील की गई थी। कमिश्नर न्यायालय द्वारा सुनवाई कर पुन: अपर कलेक्टर न्यायालय पन्ना द्वारा प्रकरण में सुनवाई के निर्देश पर विस्तृत रूप से विभिन्न तथ्यों, दस्तावेजों के परीक्षण एवं राजस्व अभिलेख अनुसार 29 जुलाई 2025 को प्रश्नाधीन भूमि को शासकीय भूमि दर्ज करने का आदेश पारित करने की कार्रवाई की गई है। यह प्रकरण अनावेदकगण झूला बाई बेवा सिंघई बाबूलाल जैन मृतक वारसान क्रमश: पवन जैन निवासी किशोरगंज मोहल्ला जिला पन्ना, सविता जैन निवासी मोराजी के पास लक्ष्मीपुरा जिला सागर, सुनीता जैन निवासी गीतांजली काम्प्लेक्स रेडियो चौराहा भोपाल तथा प्रफुल्ल जैन निवासी मोहल्ला किशोरगंज पन्ना हाल निवास एचएक्स 102 ए/3 ई-7 अरेरा कॉलोनी भोपाल से संबंधित है। प्रकरण की जांच में पाया गया कि ग्राम पन्ना के सर्वे नंबर 520 रकवा 228.71 एकड वर्ष 1955-56 की मिसिल बंदोवस्त में म.प्र. शासन जंगल मद में दर्ज है जबकि वर्तमान रिकार्ड में सर्वे नंबर 520/1 रकवा 17.022 हेक्टेयर वर्तमान रिकार्ड में म.प्र. शासन दर्ज है लेकिन इस प्रकरण की भूमि 520/2 रकवा 3.541 हेक्टेयर को विवादित भूमि पाया गया।
यह वर्ष 1963-64 के खसरे में झूला बाई बेवा सिंघई बाबू लाल जैन के नाम दर्ज है लेकिन कोई प्रकरण उपलब्ध नहीं है। इस भूमि का नामांतरण वर्ष 1988-89 के खसरे में झूला बाई के पुत्र विजय कुमार पिता बाबू लाल जैन के नाम किया गया किन्तु खसरे में दर्शित नामांतरण आदेश की प्रविष्टि उक्त वर्ष की नामांतरण पंजी में नहीं पाई गई। संयुक्त कलेक्टर पन्ना की जांच रिपोर्ट में खसरा नंबर 520 के बटंाकित 520/2 से 520/19 के 18 व्यक्तियों के नाम भूमि दर्ज होने के संबंध में बिना अधिकार नाम दर्ज होने के संबंध में अवगत कराया गया। कलेक्टर न्यायालय द्वारा भी सभी अनावेदकों के विरूद्ध प्रकरण क्रमांक 82/स्वमेव निगरानी/2006-07 दर्ज कर सुनवाई की गई थी। इसके उपरांत 10 मार्च 2008 के आदेशानुसार सभी व्यक्तियों के विरूद्ध पृथक-पृथक प्रकरण दर्ज करने के लिए आदेशित किया गया तथा कलेक्टर न्यायालय द्वारा प्रकरण क्रमांक 06/स्वमेव निगरानी/2011-12 दर्ज कर सुनवाई उपरांत 10 अक्टूबर 2011 को प्रकरण निराकरण के लिए अपर कलेक्टर न्यायालय को अंतरित किया गया था।
कमिश्नर न्यायालय सागर में हुई सुनवाई
कलेक्टर पन्ना के आदेशानुसार अपर कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 0015/स्वमेव निगरानी/2020-21 दर्ज कर सुनवाई की गई तथा क्रमश: विवादित भूमि के संबंध में वारिसानों को सुनवाई का अवसर प्रदान कर 11 दिसम्बर 2020 को अंतिम आदेश पारित कर भूमि को मध्यप्रदेश शासन दर्ज करने का उल्लेख किया गया। अपर कलेक्टर न्यायालय के आदेश के विरूद्ध अनावेदक पवन जैन की ओर से वरिष्ठ न्यायालय कमिश्नर सागर संभाग के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई। कमिश्नर सागर द्वारा भी अपील प्रकरण में 28 मार्च 2023 को आदेश पारित कर अपर कलेक्टर न्यायालय को अपीलार्थीगण के तथ्यों पर पुन: सुनवाई का अवसर प्रदान कर गुणदोष के आधार पर आदेश पारित करने के लिए निर्देशित किया गया। अपीलार्थीगण की ओर से प्रस्तुत तथ्यों एवं आधारों के उल्लेखानुसार अपर कलेक्टर न्यायालय में पुन: विधिवत सुनवाई प्रारंभ की गई और अनावेदकों को अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया गया। पुन: विस्तृत सुनवाई उपरांत यह भी पाया गया कि संबंधितजन के नाम भूमि स्वामी के हैसियत से प्रथम प्रविष्टि दर्ज किए जाने के संबंध में किसी राजस्व अधिकारी का आदेश या प्रकरण क्रमांक आदेश दिनांक का हवाला दर्ज नहीं है जिससे यह परिलक्षित होता है कि तत्समय संबंधित राजस्व कर्मचारियों द्वारा बगैर किसी वैधानिक आदेश के स्वेच्छा से झूला बाई के नाम भूमि स्वामी के रूप में प्रविष्टि दर्ज की गई है।
विदित हो कि म.प्र. भू राजस्व संहिता 1959 के प्रभावशील होने के दरम्यान तत्समय कोड की धारा 158 के तहत उन भूधारियों को ही भू-स्वामी के अधिकार मिले हैं जिन्हें ०2 अक्टूबर 1959 के पूर्व से उस क्षेत्र में प्रचलित भूमि संबंधी कानून के तहत वैधानिक रूप से भूमि प्राप्त हुई हो। केवल कब्जे के आधार पर कोई स्वत्व प्रदान नहीं किए गए हैं। इस प्रकरण में वर्ष 1959 के पश्चात 1960, 1961 एवं 1962 के किसी राजस्व अभिलेख में झूला बाई का नाम किसी हैसियत से दर्ज नहीं रहा। इसलिए प्रश्नाधीन भूमि का झूला बाई के पक्ष में बंटन किया जाना भी संभव नहीं था। उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विविध याचिकाओं में दिए गए निर्णय अनुसार भी यह स्पष्ट किया गया है कि राजस्व वन श्रेणी की भूमि का अन्यथा उपयोग नहीं किया जा सकता है जिसके दृष्टिगत सर्वे नंबर 520/2 रकवा 3.541 हेक्टेयर जंगल मद की भूमि को अपर कलेक्टर न्यायालय के पूर्व आदेशानुसार पुन: शासकीय भूमि घोषित करने का आदेश पारित किया गया है।
Created On :   30 July 2025 12:31 PM IST