Panna News: पन्ना के महाराज सागर तालाब का अस्तित्व खतरे में, चोई की गिरफ्त में ऐतिहासिक जलस्त्रोत

पन्ना के महाराज सागर तालाब का अस्तित्व खतरे में, चोई की गिरफ्त में ऐतिहासिक जलस्त्रोत
बुंदेलखंड की ऐतिहासिक नगरी पन्ना जिसे सदियों पहले जल प्रबंधन की उत्कृष्ट मिसाल माना जाता था आज अपने ही बनाए विरासत को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।

Panna News: बुंदेलखंड की ऐतिहासिक नगरी पन्ना जिसे सदियों पहले जल प्रबंधन की उत्कृष्ट मिसाल माना जाता था आज अपने ही बनाए विरासत को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। राजशाही जमाने में पन्ना शहर की जीवनरेखा माने जाने वाले लोकपाल सागर, धरमसागर, निरपत सागर, दहलान ताल और महाराज सागर जैसे बड़े-बड़े तालाबों का निर्माण कराया गया था लेकिन इनमें से एक महाराज सागर तालाब का अस्तित्व इस समय गंभीर संकट में है। यह ऐतिहासिक जलस्त्रोत पूरी तरह से जलकुंभी चोई की मोटी परत से ढंक चुका है। इस हरे शैवाल ने तालाब के विशाल जल क्षेत्र को अपने आगोश में ले लिया है जिससे इसका पानी उपयोग के लायक नहीं रह गया है। कभी शहर की सुंदरता और जल आपूर्ति का केंद्र रहा यह तालाब अब एक बदबूदार और दलदली क्षेत्र में तब्दील हो रहा है। महाराज सागर का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसके निकट ही नवीन कलेक्ट्रेट भवन स्थित है।

साथ ही तालाब के आसपास कई धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हालांकि तालाब की वर्तमान स्थिति इतनी दयनीय है कि यहां आने वाले लोगों के लिए इसका पानी किसी भी उपयोग में नहीं लाया जा सकता है जिससे उनकी धार्मिक और दैनिक ज़रूरतों पर भी असर पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों और प्रशासन द्वारा इस तालाब की स्थिति सुधारने के लिए कई बार सफाई अभियान चलाए गए हैं लेकिन यह प्रयास अल्पकालिक साबित होते हैं। कुछ ही दिनों के बाद तालाब की स्थिति फिर से जस की तस स्थिति में हो जाता है। सफाई पर खर्च होने वाला सरकारी पैसा और श्रम, समस्या के मूल कारण जलकुंभी के बेकाबू फैलाव को रोकने में असफल रहा है। महाराज सागर जैसे ऐतिहासिक तालाब जिन्हें आज के समय में बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ेंगे। यदि उचित रखरखाव और देखरेख के अभाव में ऐसे ही समाप्त होते रहे तो पन्ना अपनी अमूल्य धरोहर खो देगा। शहर के पर्यावरणविदों और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि प्रशासन इस विरासत को बचाने के लिए एक दीर्घकालिक और टिकाऊ कार्ययोजना बनाए अन्यथा जल्द ही यह तालाब इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएगा।

इनका कहना है

महाराज सागर तालाब बहुत पुराना तालाब है बाईपास से लगा हुआ है पास में ही कलेक्ट्रेट भवन बना हुआ इसका अपना ऐतिहासिक महत्व है एक तरफ जल संरक्षण की दिशा में सरकार करोड़ों रुपए हर वर्ष खर्च करती है वहीं पहले से बने तालाबों में कोई काम नहीं हो रहा है जिससे वह समाप्त होने की दिशा में है।

अभिषेक चौरसिया, स्थानीय निवासी

तालाब के पास मंदिर है लोग पूजा के लिए आते हैं लेकिन यहाँ की स्थिति इतनी खराब है कि पानी उपयोग लायक नहीं है स्थानीय प्रशासन को इसके जीर्णोद्धार के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए।

अंकुर सेन, स्थानीय युवा

पानी उपयोग के लायक नहीं है अगर साफ -सफाई हो जाए तो पानी उपयोग में लिया जा सकता है।

खिलावन दास बाबा, पुजारी

शहर के अंदर इतना सुंदर तालाब देखरेख के आभाव में गंदगी की चपेट में है बारिश के दिनों में जल्द भर जाने वाला तालाब है। शहर में बाहर से पर्यटक आते हैं। इसको साफ -सुथरा बनाये जाने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए।

कुमारी अंशिका चौरसिया, स्थानीय निवासी

तालाब के सामने और बगल में मंदिर है हम लोग पूजा के लिए जाते हैं लेकिन तालाब में इतनी ज्यादा गंदगी है जिससे हम श्रद्धालुओं के सामने समस्या उत्पन्न होती है। प्रशासन को इस दिशा में तत्काल कार्यवाही करना चाहिए।

श्रीमती राम कुमारी सेन, स्थानीय निवासी

Created On :   5 Dec 2025 2:28 PM IST

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