Panna News: वर्षों से जिस जमीन पर आदिवासी कर रहे थे खेती, उसे बताया गया वनभूमि, दर्जनों आदिवासी परिवारों पर अजीविका का संकट

वर्षों से जिस जमीन पर आदिवासी कर रहे थे खेती, उसे बताया गया वनभूमि, दर्जनों आदिवासी परिवारों पर अजीविका का संकट

Panna News: बुधवार को रैपुरा तहसील पहुंचे तहसील क्षेत्र के सुदूर आदिवासी अंचल ग्राम लाखन चौरई के आदिवासियों ने तहसीलदार रैपुरा को एक आवेदन पत्र दिया है जिसमें उन्होंने बताया कि फतेहपुर ग्राम पंचायत के गांव लाखन चौरई के आदिवासी परिवार लगभग बीस से पच्चीस वर्षों से जिस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं उस पर अब वन विभाग के बीटगार्ड खेती करने से रोक रहे हैं। आदिवासियों ने बताया कि तहसील मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर अंदर जंगल में बसे गांव के सभी परिवार गरीबी रेखा के नीचे आते हैं एवं खेती करके अपने परिवारों की आजीविका चलाते हैं। वन विभाग जिस जमीन पर खेती करने से मना कर रहा है उसे हमारे बुजुर्गो एवं हमने कड़े शारीरिक परिश्रम से बंजर जमीन को खेती योग्य बनाया था उसी से लोगों का जीवन यापन कर रहे हैं।

उन्होंने तहसीलदार को आवेदन सौंपते हुए कहा कि अगर वन विभाग उन्हें जमीन से बेदखत करता है तो उनके परिवार की स्थिति खराब हो जाएगी और जीवन पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। उन्होंने उक्त भूमि पर कब्जानुसार कृषि कार्य करने की अनुमति के लिए आग्रह किया है। आदिवासी ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ग्राम पंचायत फतेहपुर पहुंचे थे। वहां के आदिवासियों की स्थिति देख कर कृषि के लिए पानी की व्यवस्था हेतु बांध तालाब के निर्माण के लिए स्वीकृति दी थी। जिसके बनने के बाद आसपास के आदिवासी गावों में खेती शुरू हुई एवं आदिवासियों का जीवन पटरी पर आया। उन्होंने कहा कि वह अपनी जमीन बचाने के लिए प्रयास कर रहे है। उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।

इनका कहना है

मैं जांच करवाकर जानकारी लेता हूं।

अनुपम शर्मा, डीएफओ दक्षिण वनमण्डल पन्ना

हमें लाखन चौरई के आदिवासी ग्रामीणों से आवेदन प्राप्त हुआ है। उनकी मदद का प्रयास करेंगे।

संतोष अरिहा, प्रभारी तहसीलदारए रैपुरा

Created On :   1 Nov 2025 5:13 PM IST

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