Pune City News: देश ही नहीं, विदेश में भी भारतीय पहचान को जोड़ता है हिंदी

देश ही नहीं, विदेश में भी भारतीय पहचान को जोड़ता है हिंदी
  • बीते कल और आने वाले कल का समन्वय
  • ऑनलाइन हिंदी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान

भास्कर न्यूज, पुणे। बार-बार हिंदी पर मंडराते खतरे की चर्चाओं के बीच विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि हिंदी को किसी से किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिति व पाठ्यक्रम संशोधन मंडल की विशेषाधिकारी हिंदी तथा समन्वयक विद्या विभाग अलका पोतदार ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में हिंदी आपसी संपर्क की भाषा है, और विदेश की धरती पर यह भारतीय पहचान को मजबूती से जोड़ती है। पोतदार ने यह टिप्पणी वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा हिंदी प्रदेशों के युवाओं के लिए आयोजित ऑनलाइन हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं के अभिनंदन समारोह में की। यह आयोजन शुक्रवार पेठ स्थित महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कार्यालय में संपन्न हुआ।

विजेताओं को मिला सम्मान

राजभाषा विभाग की स्वर्ण जयंती पर आयोजित इस राज्य स्तरीय निःशुल्क प्रतियोगिता में 18 से 25 वर्ष की आयु के युवाओं ने भाग लिया। पूरे देश के हिंदीतर प्रदेशों से कुल 5097 विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की, जिनमें महाराष्ट्र के 910 विद्यार्थी शामिल थे। भारत आयात-निर्यात (इंडिया एक्जिम) बैंक, मुंबई के सहयोग से महाराष्ट्र के 23 शीर्ष विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। समारोह में पुणे के 7 विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया, जबकि नागपुर के विजेताओं के लिए अलग आयोजन किया जाएगा।

- पुणे की कांचन और समृद्धि को शत-प्रतिशत अंक

पुरस्कारों में पहले स्थान पर रहे 5 विद्यार्थियों को 2500 रुपए नकद, द्वितीय स्थान पर रहे 6 विद्यार्थियों को 1500 रुपए और तृतीय स्थान पर रहे 12 विद्यार्थियों को 1000 रुपए के पुरस्कार प्रदान किए गए। शत प्रतिशत अंक पाने वाले विद्यार्थियों में पुणे की कांचन शेलके (मॉर्डन कॉलेज) और समृद्धि भालवणकर (डेक्कन कॉलेज) शामिल रहीं, जिन्हें 2500 रुपए नकद, प्रमाण पत्र तथा स्मृति चिह्न दिया गया।

- अध्यक्ष ने बताया प्रतियोगिता का उद्देश्य

वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी की परिकल्पना से प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य हिंदीतर भाषी क्षेत्र के युवाओं में भारत और हिंदी के रिश्ते को और मजबूत बनाना था। यह आयोजन ‘केंद्रीय हिंदी संस्थान’, ‘दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा’, ‘भारतीय भाषा मंच’ के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। प्रांत संयोजक की भूमिका स्वरांगी साने ने निभाई, जबकि सह संयोजक मुंबई से डॉ. रवींद्र कात्यायन थे।

- हिंदी से जुड़े रहे युवा

समारोह की अध्यक्षता करते हुए अलका पोतदार ने 'बालभारती' के नाम से जानी जाने वाली स्कूल पाठ्यक्रम की किताबों के निर्माण की जानकारी भी विद्यार्थियों को दी। पुरस्कार प्रदान समारोह के मुख्य अतिथि जयराम फगरे (राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के संचालक, 95 वर्षीय हिंदी सेवी) ने बीते कल और आने वाले कल का समन्वय करते हुए युवाओं के उत्साह को देखकर हिंदी के भविष्य को लेकर आशा जताई। उन्होंने कहा कि हिंदी को लेकर आशंकित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। मुंबई से आए विशेष अतिथि डॉ. रमेश यादव ने युवाओं को हिंदी से जुड़े रहने के लिए प्रेरित किया।

- काव्य संध्या का भी हुआ आयोजन

कार्यक्रम में डॉ. सुनील देवधर तथा बंडोपंत पाटिल ने भी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। शहर के जानेमाने साहित्यकार सुमित पॉल, गजलगो प्रदीप निफाड़कर आदि उपस्थित थे। विजेताओं के सम्मान के पहले सत्र के तुरंत बाद एक काव्य संध्या का भी आयोजन किया गया। इस सत्र में शहर के कई कवियों, जिनमें डॉ. अलका अग्रवाल, प्रेरणा उबाले, हितेश व्यास, सत्येंद्र सिंह, सुनील जोशी, डॉ. अनीता जठार, नरेंद्र छाबड़ा, हृदय प्रकाश आदि शामिल थे, ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन निर्मला राजपूत, भावना गुप्ता और प्रो. पूनम कन्नौजे ने किया।

Created On :   13 Nov 2025 5:31 PM IST

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