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Pune News: मंचर: पहले चुनाव में सियासी घमासान

- महायुति में दरार और बगावत से समीकरण उलझे
- राकांपा अजित गुट, भाजपा के खिलाफ शिवसेना शिंदे गुट
संतोष वलसे पाटिल, मंचर। मंचर नगर पंचायत के गठन के बाद हो रहे पहले चुनाव ने राजनीतिक वातावरण को पूरी तरह गरमा दिया है। चुनाव में विचित्र राजनीतिक समीकरण देखने को मिल रहे हैं, जहां एक तरफ महायुति के भीतर ही राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) और भाजपा गठबंधन का मुकाबला अपनी ही सहयोगी शिवसेना (शिंदे गुट) से होने के संकेत हैं। वहीं दूसरी ओर, महाविकास आघाड़ी में शरद पवार की राकांपा और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने गठबंधन की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने 'एकला चलो' की राह अपनाते हुए स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस बहुकोणीय संघर्ष के कारण राजनीतिक समीकरण बेहद जटिल हो गए हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किस पर भरोसा जताते हैं।
चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद नगराध्यक्ष पद के लिए कुल 9 और 17 वार्डों में नगरसेवक पदों के लिए 123 आवेदन दाखिल किए गए हैं। नगर पंचायत बनने के बाद यह पहला ही चुनाव होने के कारण पूरे तहसील का ध्यान इस पर लगा हुआ है। टिकट वितरण को लेकर पार्टियों में भारी असंतोष है, जिसके चलते कई इच्छुकों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। कइयों ने पाला बदल लिया है तो कइयों ने निर्दलीय रास्ता चुना है। भाजपा ने शुरू में अकेले लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन बाद में वरिष्ठ स्तर पर चर्चा के बाद अजित पवार गुट से हाथ मिला लिया। हालांकि, इससे भी नाराजगी कम नहीं हुई। भाजपा के जिला उपाध्यक्ष संजय थोरात की बहू प्राची आकाश थोरात ने नगराध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय नामांकन भर दिया है। वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हुईं जागृति महाजन को टिकट न मिलने पर वे भी निर्दलीय मैदान में कूद पड़ी हैं। भाजपा की मंडल अध्यक्ष स्नेहल चासकर ने भी बगावत करते हुए नगरसेवक पद के लिए निर्दलीय पर्चा भरा है।
राकांपा अजित गुट, भाजपा के खिलाफ शिवसेना शिंदे गुट
नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की बात करें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) ने मोनिका सुनील बाणखेले को मैदान में उतारा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व सांसद शिवाजीराव आढलराव पाटिल के करीबी सुनील बाणखेले के आग्रह पर उन्हें यह टिकट मिला है। दूसरी ओर, शिवसेना (शिंदे गुट) ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। उनका दावा है कि विधानसभा चुनाव में दिलीप वलसे पाटिल की जीत में उनकी भूमिका निर्णायक थी, इसके बावजूद सम्मानजनक सीटें न मिलने पर उन्होंने स्वतंत्र लड़ने का फैसला किया। शिंदे गुट ने नगराध्यक्ष पद के लिए राजश्री दत्ता गांजाले को टिकट दिया है और सभी वार्डों में उम्मीदवार उतारकर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी की है।
बागियों ने भरे निर्दलीय नामांकन
विपक्ष की ओर से शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने पूर्व पंचायत समिति सदस्य राजाराम बाणखेले की बेटी रजनीगंधा राजाराम बाणखेले को, जबकि कांग्रेस ने फरजीन इकबाल मुलानी को नगराध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया है। फिलहाल, टिकट न मिलने से नाराज कई बागी उम्मीदवारों ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर हर वार्ड में चुनौती खड़ी कर दी है। अब पार्टी नेताओं के सामने अगले कुछ दिनों में इन बागियों को शांत करने की बड़ी चुनौती होगी, अन्यथा यह बगावत पार्टियों के चुनावी गणित को बिगाड़ सकती है।
Created On :   20 Nov 2025 5:49 PM IST












