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Pune City News: पुलिस को नहीं मिल रहा ‘डिटेक्शन फंड’, अफसरों-कर्मियों पर बढ़ा आर्थिक बोझ

- पुलिसकर्मियों ने कहा- खुद खर्च कर रहे, लेकिन महीनों तक मंजूर नहीं होते बिल
- अनजान लोगों का अंतिम संस्कार भी अपने पैसे से
भास्कर न्यूज, पुणे। शहर में कानून-व्यवस्था संभालने वाले पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों पर आर्थिक बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि अधिकांश पुलिस थानों में जांच से जुड़े खर्च जैसे आरोपी की तलाश में बाहर जाना, वाहन का ईंधन, भोजन, नाश्ता, चार्जशीट की कॉपी, कागजात की फोटो कॉपी, सब कुछ पुलिसकर्मियों को अपनी जेब से भरना पड़ रहा है। जब वे खर्चों के बिल विभागीय कार्यालय में जमा करते हैं तो महीनों तक मंजूरी नहीं मिलती। अधिकारियों का कहना है कि बार-बार ‘डिटेक्शन फंड’ मंजूर करने की विनती करने के बावजूद विभागीय प्रशासन हाथ खड़े कर रहा है।
जवाब सिर्फ एक ही दिया जाता है कि फंड में पैसे ही नहीं हैं। इसी वजह से पुलिसकर्मियों में नाराजगी और निराशा बढ़ रही है। शहर के अलग-अलग थानों में गंभीर अपराधों की जांच करने वाले अधिकारी आरोपी को पकड़ने के लिए कई बार बाहर जिलों में या बाहर शहर तक जाते हैं। इस दौरान गाड़ी का डीजल, रहने-खाने का खर्च, फोन कॉल्स, दस्तावेज सबकुछ उन्हें खुद भुगतान करना पड़ता है। आरोपी को पकड़कर थाने लाने के बाद भी खर्च खत्म नहीं होता। कोर्ट प्रोडक्शन, पंचनामा, फॉरेंसिक रिपोर्ट, और चार्जशीट तक का पूरा खर्च जांच अधिकारी को करना पड़ता है। बिल जमा करने के बाद विभाग में महीनों तक मंजूरी नहीं मिलती। कई पुलिसकर्मी और छोटे रैंक के कर्मचारी बताते हैं कि उनके 5,000-10,000 रुपए तक के बिल 2023 से अटके पड़े हैं।
अनजान लोगों का अंतिम संस्कार भी अपने पैसे से
सूत्रों ने खुलासा किया है कि कई मामलों में थानों पर अनजान मृतकों के अंतिम संस्कार तक का खर्च पुलिसकर्मियों की जेब से किया जाता है। एक कर्मचारी ने बताया कि हम पहले अपने पैसे से भुगतान करते हैं, फिर महीनों तक सिर्फ सुनवाई होती है। क्लर्क कहते हैं कि फंड में पैसे नहीं हैं, इसलिए आपका बिल अभी निकाल नहीं सकते। शहर के एक पुलिस स्टेशन के एक वरिष्ठ जांच अधिकारी ने पिछले सालभर में कई बड़ी गिरफ्तारियां की। इस दौरान उन्होंने आरोपी की तलाश, बाहर दौरे और जांच में वेतन से लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन उनका बिल भी अभी तक मंजूर नहीं किया गया है।
बढ़ रहा है असंतोष
अफसरों का कहना है कि जांच का नाम लेकर हमसे काम तो करवाया जाता है, लेकिन खर्च की भरपाई नहीं होती। इससे हम हताश हो रहे हैं। बिलों की मंजूरी में देरी से पुलिस फोर्स में असंतोष बढ़ रहा है। कई अधिकारियों ने कहा कि विभागीय कार्यालय में फंड की कमी बताकर महीनों तक फाइल रोक दी जाती हैं। इससे जांच प्रभावित हो रही है और पुलिसकर्मियों पर आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव, दोनों बढ़ रहा है।
Created On :   18 Nov 2025 5:09 PM IST












