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Pune City News: अधीनस्थों पर विश्वास रखे पुलिस अफसर, गैंगवार आसानी से होंगे खत्म

- रिटायर्ड अधिकारी भानुप्रताप बर्गे ने कहा - राजनीतिक सपोर्ट से भी बढ़ रहा पुणे में गैंग कल्चर
- अच्छे स्थानीय अधिकारी अपराध रोकने में कारगर
- पुलिस के अंदर मतभेद खत्म करने होंगे
भास्कर न्यूज, पुणे। पुणे शहर में फिर एक बार गैंगवार अपने पैर पसार रहा है। इस गैंगवार के कारण नागरिकों में भी खौफ बढ़ने लगा है। 1980-90 के दशक में भी पुणे में कुछ ऐसी ही स्थितियां बनी थी जब छोटे-छोटे गैंग बन गए थे जिन्हें संरक्षण देने के लिए मुंबई से दाऊद, छोटा शकील, छोटा राजन, अरुण गवली आदि यहां सक्रिय होने लगे थे। कैसे-कैसे यहां गैंगवार बढ़ा और अभी कितनी गैंग पुणे में काम कर रही है उसे एक शृंखला चलाकर दैनिक भास्कर ने अपने पाठकों तक पहुंचाया। आज हम इस शृंखला का अंतिम भाग दे रहे हैं जिसमें सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी भानुप्रताप बर्गे को विशेषज्ञ के रूप में दैनिक भास्कर कार्यालय में आमंत्रित किया गया ताकि वे गैंगवार की बढ़ती समस्या पर अपने सुझाव दे सके। 35 साल की पुलिस सेवा में बर्गे ने 19 एनकाउंटर किए हैं। बर्गे ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अपने अधीनस्तों पर विश्वास रखने के साथ राजनीतिज्ञों को भी गुंडों से दूरी बनाए रखने की बात कही है। पेश है बर्गे द्वारा दिए गए सुझावों के कुछ अंश –
अच्छे स्थानीय अधिकारी अपराध रोकने में कारगर
भानुप्रताप बर्गे का मानना है कि शहर में अपराध नियंत्रण के लिए सबसे जरूरी है, स्थानीय पुलिस अधिकारी, जिन्हें अपने क्षेत्र की गलियों तक की जानकारी होती है। इसके अलावा वे स्थानीय भाषा समझ सकते हैं और लोग उनपर विश्वास कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कई बार बाहरी अधिकारी को शहर की भौगोलिक और सामाजिक समझ नहीं होती, जिससे अपराधिक गतिविधियों को रोकना मुश्किल हो जाता है। वरिष्ठ अधिकारियों को भी चाहिए कि वे अपने अधीनस्तों पर विश्वास रखे।
कमजोर खबरी नेटवर्क को मजबूत करना होगा
बर्गे के मुताबिक, पुलिस की सबसे बड़ी ताकत उसका खबरी नेटवर्क होता है। तकनीक के इस युग में भी मुखबिर नेटवर्क का कोई विकल्प नहीं। उन्होंने कहा कि पुलिस का मुखबिर नेटवर्क आज बहुत कमजोर पड़ गया है। पहले हर बीट का पुलिसकर्मी अपने इलाके के हर संदिग्ध को जानता था। अब पुलिस ऑनलाइन रिपोर्ट और सर्विलांस पर निर्भर हो गई है, लेकिन असली जानकारी स्थानीय लोगों से ही मिलती है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में फिर से स्थानीय स्तर पर खबरी तैयार करने की व्यवस्था होना चाहिए ताकि अपराधियों की हर हरकत पर नजर रखी जा सके।
फील्ड पर ज्यादा रहें
इस सेवानिवृत्त अधिकारी का मानना है कि अपराधियों को रोकने के लिए पुलिस को ऑफिस से बाहर निकलना होगा। पुलिस को जितना ज्यादा फील्ड पर रखा जाएगा, उतनी जल्दी उसका नेटवर्क बढ़ेगा। अपराध को कंट्रोल करने के लिए फील्ड पर मौजूदगी जरूरी है। किसी भी बड़े अपराध को रोकने के लिए पुलिस की आंख और कान दोनों खुले होने चाहिए। उनका कहना है कि अगर अधिकारी लगातार जनता के संपर्क में रहेंगे, तो लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा और अपराध की जानकारी समय पर मिल सकेगी।
पुलिस के अंदर मतभेद खत्म करने होंगे बर्गे का सुझाव है कि पुलिस के अंदर आपसी मतभेद अपराधियों के लिए सबसे बड़ा फायदा बन जाते हैं। पुलिस में डिटेक्शन को लेकर प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, लेकिन यह प्रतिस्पर्धा दुश्मनी में नहीं बदलनी चाहिए। कई बार अधिकारी एक-दूसरे के खिलाफ गोपनीय जानकारी साझा कर देते हैं, जिससे विभाग की छवि और जांच दोनों पर असर पड़ता है। उनका मानना है कि पुलिस का हर सदस्य एक टीम की तरह काम करे तो किसी भी गैंग को शहर में पैर जमाने का मौका नहीं मिलेगा।
राजनीति की दखलअंदाजी बंद होनी चाहिए
बर्गे ने अपराधियों और राजनीतिक के गठजोड़ पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों की दखल पुलिस विभाग के लिए सबसे खतरनाक है। जब नेता अपराधियों को संरक्षण देते हैं, तब पुलिस का मनोबल गिरता है। उन्हें अपराधियों के करीबी रिश्तेदारों को भी पार्टी से में लेने से पहले विचार कर लेना चाहिए। पुलिस को स्वतंत्र होकर काम करने दिया जाए, तभी गैंग संस्कृति खत्म होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार गैंगस्टर राजनीतिक नेताओं के संपर्क में आकर अपने खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई रुकवा लेते हैं। यह स्थिति पुलिस विभाग के लिए बेहद नुकसानदायक है।
पुलिसकर्मी को फिट रहना चाहिए बर्गे के अनुसार पुलिसकर्मियों को अपनी फिटनेस पर भी खास ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी खुद अनुशासित नहीं हैं, वो अपराधियों पर नियंत्रण नहीं पा सकते। समय पर खाना खाएं, अपनी जुबान पर कंट्रोल रखें, जो चीज आपके शरीर के लिए हानिकारक है, उसे न खाएं। रोज कम से कम एक घंटा व्यायाम करें, क्योंकि अगर आप फिट हैं, तभी अपराध से लड़ सकते हैं।
एक नजर रिटायर्ड एसीपी भानुप्रताप बर्गे के बारे में
महाराष्ट्र पुलिस के बहादुर और साफ छवि वाले अधिकारियों में शुमार रिटायर्ड एसीपी भानुप्रताप बर्गे का नाम आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है। सातारा जिले के कोरेगांव में जन्मे भानुप्रताप बर्गे की बचपन से ही इच्छा थी कि वे पुलिस में जाए। उन्होंने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और साल 1985 में महाराष्ट्र पुलिस में शामिल हुए। उनकी पहली नियुक्ति मुंबई में हुई, जहां उन्होंने करीब 20 साल तक लगातार सेवा दी। 1986 से 2005 के बीच मुंबई का अंडरवर्ल्ड अपने चरम पर था। ऐसे दौर में बर्गे ने कई खतरनाक ऑपरेशन में हिस्सा लिया। मुंबई पुलिस के सबसे चर्चित ‘लोखंडवाला शूटआउट’ से भी जुड़ा है। 16 नवंबर 1991 को उन्होंने माया डोलास और उसके छह साथियों को एनकाउंटर में मार गिराया। 2005 के बाद उनकी पोस्टिंग पुणे में हुई, जहां उन्होंने शांति, सुरक्षा और समाज के लिए उल्लेखनीय काम किया।
Created On :   9 Nov 2025 5:00 PM IST












