- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- पुणे
- /
- कभी गढ़ कहे जानेवाले पुणे जिले से...
Pune City News: कभी गढ़ कहे जानेवाले पुणे जिले से गायब रही साहेब की ‘तूतारी’

- न प्रचार में कोई नेता दिखे
- न हर जगह उम्मीदवार मिलें
- चर्चा में आई राकांपा (शरद)
भास्कर न्यूज, पुणे। पुणे जिले की राजनीति पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के अध्यक्ष शरद पवार (साहेब) का लंबे समय तक प्रभाव रहा है। शरद पवार ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत से ही पुणे जिले में एक मजबूत संगठनात्मक जाल बिछाया। इस संगठन का प्रभाव कई स्थानीय निकाय चुनावों में देखा जाता था। लेकिन, इस बार जिले के नगर परिषद औऱ नगर पंचायत के चुनाव प्रचार में न तो शरद पवार दिखे, न पार्टी का कोई बड़ा नेता दिखाई दिया। जिले की 14 नगर परिषदों और 3 नगर पंचायतों के चुनाव में से केवत तीन स्थानों पर ही पार्टी ने नगराध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार उतारे है। कुल मिलाकर इस चुनाव में शरद पवार की राष्ट्रवादी की उपस्थिति बहुत सीमित दिख रही है। अधिकांश स्थानों पर पार्टी पूरी तरह से निष्क्रिय नजर आई।
पुणे जिले की 14 नगर परिषदों और 3 नगर पंचायतों, यानी कुल 17 स्थानीय निकायों के चुनाव में एकतरफ सत्ताधारी भाजपा ने अपनी बढ़ती ताकत का प्रदर्शन करने का प्रयास किया वहीं अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अपने पारंपरिक गढ़ को बचाने का प्रयास किया। हालांकि, इन दोनों पार्टियों की तुलना में शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का इस चुनाव में अस्तित्व बहुत सीमित दिखाई दिया। जिले की 14 नगर पालिकाओं को देखें तो केवल शिरुर, बारामती और सासवड़ पर तुतारी चुनाव चिन्ह पर नगराध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार उतारे गए। बाकी 11 नगर पालिकाओं में पार्टी ने उम्मीदवारी देने से परहेज किया। इतना ही नहीं, लोनावला, मंचर और जुन्नर जैसी नगर परिषदों में भी पार्टी ने केवल कुछ ही वार्डों में उम्मीदवार उतारे हैं। इस सीमित उपस्थिति के कारण जिले में पार्टी पूरी तरह से निष्क्रिय होने की तस्वीर सामने आई।
खास बात यह है कि पुणे जिले में शरद पवार की राष्ट्रवादी के दो सांसद होने के बावजूद उनके निर्वाचन क्षेत्रों में भी पार्टी की उपस्थिति नहीं दिखाई दी। सांसद अमोल कोल्हे के शिरूर निर्वाचन क्षेत्र में शिरूर नगर परिषद को छोड़कर अन्य जगहों पर अध्यक्ष पद का उम्मीदवार ही नहीं दिया गया। वहीं, सांसद सुप्रिया सुले के बारामती निर्वाचन क्षेत्र में बारामती और सासवड़ को छोड़कर पार्टी ने किसी अन्य नगर परिषद में चुनाव नहीं लड़ा। जहां पर नगराध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार उतारे गए है, वहां पर भी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रचार में नहीं दिखे। दूसरी तरफ भाजपा, अजित पवार की राष्ट्रवादी और शिंदे की शिवसेना ने अपने नेताओं की बड़ी फौज को चुनाव प्रचार में झोंक दिया था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुद जिले में कई सभाएं की। इसके विपरीत, शरद पवार की पार्टी से कोई भी बड़ा नेता जिले में सक्रिय प्रचार करता हुआ दिखाई नहीं दिया। सांसद अमोल कोल्हे और सांसद सुप्रिया सुले की भी प्रचार में भागीदारी बहुत कम दिखाई दी। इन सभी घटनाक्रमों से राजनीतिक गलियारों में कई सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के विभाजन के बाद लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर देने वाली शरद पवार की पार्टी को आखिर क्या हुआ है? जिले की राजनीति में यह चर्चा जोर पकड़ रही है।
राज्य स्तर पर कोई बात हुई होगी!
इस पूरे मामले को लेकर दैनिक भास्कर ने राकांपा (शरद) के कुछ नेताओं से बात की हालांकि नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि कोई बात राज्य स्तर हुई होगी जिसके कारण नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव में पार्टी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अब आगे क्या होगा आप सभी को जल्दी ही पता चल जाएगा।
Created On :   3 Dec 2025 3:50 PM IST












