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Pune News: तेंदुओं से जान बचाने के लिए लोगों ने गले में पहने नुकीले कीलों वाले पट्टे

- पुणे के शिरूर और आंबेगांव का मामला
- गले से पकड़ता है तेंदुआ इसलिए नुकीले पट्टों को मान रहे सहायक
भास्कर न्यूज, पुणे। पुणे जिले के शिरूर और आंबेगांव में तेंदुओं के हमलों से डर का माहौल है। फिलहाल इन क्षेत्रों में गन्ने की कटाई चल रही है जिससे तेंदुओं के हमले नागरिकों पर बढ़ गए हैं। तेंदुओं से अपनी सुरक्षा के लिए यहां के लोगों ने गले में नुकीले कीलों वाले पट्टे पहनना शुरू कर दिए हैं ताकि तेंदुआ हमला करे तो उसे कीले चुभें और वह भाग जाए। पट्टे में घंटी भी लगाई गई है ताकि आवाज आने पर आसपास के लोग सहायता के लिए आ जाए। बताया जाता है तेंदुआ पहले गर्दन पर ही हमला करता है जिससे ये पट्टे मनुष्य की जान बचाने में सहायक होंगे। अभी तक ग्रामीण अपने यहां के कुत्तों को इस तरह के पट्टे पहनाते थे ताकि उनका बचाव हो सके।
शिरूर और आंबेगांव में खेत पर जाने वाले कई महिला-पुरुष इन पट्टों का उपयोग करने लगे हैं। इसके अलावा जंगल के समीप के क्षेत्र से गुजरने वाले भी इन पट्टों की सहायता ले रहे हैं। यहां के लोगों की आजीविका का साधन खेती ही है और यहां अधिकांश लोग गन्ने की खेती करते हैं। गन्ने की कटाई अभी शुरू ही हुई है और माना जा रहा है अगले तीन से चार महीनों तक ये कटाई चलेगी। अधिकांशत: तेंदुओं के छुपने का ठिकाना गन्ने के खेत ही होते हैं जिससे वर्तमान में हमलों की संख्या बढ़ गई है। पिछले एक महीने में तेंदुओं के हमले से तीन मौते हो चुकी हैं। हमलों को लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी भी है और इसके लिए राज्य सरकार ने करीब 500 तेंदुओं को यहां से पकड़कर गुजरात के वनतारा में भेजने की योजना भी बनाई है। हालांकि यह योजना कब शुरू होगी यह तय नहीं है। जुन्नर, शिरूर व आंबेगांव में करीब 800 तेंदुएं होने की बात कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने हाल ही में कही थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2019 तक इस क्षेत्र में 200 तेंदुएं थे लेकिन 2025 तक इनकी संख्या 800 हो गई है यानी यह क्षेत्र तेंदुओं की पसंद का क्षेत्र बन गया है।
सांसद अमोल कोल्हे ने बताया शर्मनाक
सांसद अमोल कोल्हे ने कहा कि, किसानों को नुकीले कीलों वाले पट्टे पहनने की नौबत आ गई है जो वाकई शर्मनाक है। मुख्यमंत्री ने कबूतरों के मामले में तत्काल बैठक बुलाई थी लेकिन यहां तेंदुए द्वारा 57 लोगों की जान लेने के बाद सरकार जागी। इसके लिए हमें चक्का जाम आंदोलन करना पड़ा। हमारी मांग है कि तेंदुए के हमले को राज्य आपदा घोषित किया जाए। अगर केरल सरकार ऐसा कर सकती है, तो हमारे मुख्यमंत्री को क्या दिक्कत है?
Created On :   10 Nov 2025 2:12 PM IST












