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- Sachin Tendulkar gave a unique way to save ODI cricket, ODI matches can be played as mini test
ऐसे बचेगा वनडे क्रिकेट : क्रिकेट के भगवान ने दिया वनडे क्रिकेट को बचाने का अनोखा तरीका, मिनी टेस्ट के रुप में खेले जा सकते हैं वनडे मैच

हाईलाइट
- 25-25 ओवरों की दो पारियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कई सालों पहले जब टी-20 क्रिकेट नया नया आया ही था तो लोग कहने लगे थे कि टेस्ट क्रिकेट का वजूद अब खतरे में है। हालांकि, ऐसा बिलकुल नहीं हुआ और टेस्ट क्रिकेट की प्रसिद्धि तो मौजूदा दौर में आसमान छू रही है। लेकिन इस बीच अब वनडे क्रिकेट के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।
क्रिकेट एक्सपर्ट्स फिलहाल वनडे क्रिकेट को बचाने के उपाय सोच रहे है। इस साल वनडे वर्ल्ड कप भी और इसकी लगातार गिरती लोकप्रियता के बीच माना जा रहा है कि यह विश्व कप इस फॉर्मेट का आखिरी विश्वकप भी हो सकता है। दर्शकों के बीच टेस्ट और टी-20 की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है जिसका सीधा असर वनडे फार्मेट पर पड़ रहा है। ऐसे में दुनिया भर के फैन्स और पूर्व क्रिकेट प्लेयर्स की तरफ से भी कई तरह के सुझाव आ रहे हैं।
इस बीच क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने भी वनडे क्रिकेट की बेहतरी के लिए अपनी तरफ से एक सुझाव दिया है। उन्होंने इंडिया टुडे द्वारा आयोजित कराए जा रहे कॉन्क्लेव में अपने विचार रखे।
क्या है सचिन का सुझाव?
वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन और शतक का रिकॉर्ड रखने वाले सचिन ने कहा कि वनडे क्रिकेट को भी टेस्ट क्रिकेट की तरह चार पारियों में बांट देना चाहिए। दोनो टीमें पूरे 50 ओवर एक साथ खेलने के बजाय 25-25 ओवरों की दो पारियां खेले। लेकिन इसमें एक ट्विस्ट यह होना चाहिए की विकेट सिर्फ 10 ही हो। पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम पहली पारी में 25 ओवर खेले और फिर दूसरी टीम 25 ओवरों के लिए बल्लेबाजी करें। इसके बाद पहली टीम अपनी दूसरी पारी खेले और बचे हुए 25 ओवरों की बल्लेबाजी खत्म करे।
अंत में बैंटिग करने वाली टीम लक्ष्य का पीछा करे। इसके अलावा पहली पारी में लीड का टेस्ट मैचों का सिस्टम भी इसपर लागू होना चाहिए। लेकिन टेस्ट मैचों से अलग वनडे क्रिकेट में सिर्फ 10 विकेट ही रहें। अगर कोई टीम अपनी पहली पारी में 25 ओवरो के दौरान ही 10 विकेट खो देती है तो उसे दोबारा बैटिंग का मौका नहीं मिलेगा और दूसरी टीम के पास लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरे 50 ओवर होगें।
अपना दम तोड़ते वनडे क्रिकेट को सचिन के इस सुझाव से नई जिंदगी मिल सकती है। अगर ये सारे नियम आईसीसी लागू करती है तो हो सकता है कि दर्शक फिर वनडे क्रिकेट के प्रति अपना रूझान वापस ला सके। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या आईसीसी इन सुझावों पर ध्यान देती है या नहीं।
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।