आम लोग ही नहीं अब बीमा एजेंट भी हो रहे हैं साइबर ठगी का शिकार, ऐसे हुआ मामले का खुलासा, जानिए बचने के लिए कौन सी सावधानियां जरूरी, कहां मिलेगी मदद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंश्योरेंस पॉलिसी लेने का झांसा देकर साइबर ठग अब बीमा एजेंट्स को अपना शिकार बना रहे हैं। इसके लिए साइबर ठग बीमा एजेंट्स को फोन करके कह रहे हैं कि उन्हें पॉलिसी लेनी है। ठगी करने वाले गिरोह एजेंट्स को भरोसे में लेने के लिए पहले थोड़े पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर रहे हैं। जिसके बाद ठग एजेंट्स को कहते हैं कि एक बार आप पैसे भेजकर ट्राई करें जिससे बैंकिंग डीटेल्स शेयर हो सकें। भोले भाले एजेंट इस दौरान ठगी का शिकार हो जाते हैं और पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। इसके अलावा एजेंट्स गलती से ओटीपी फ्रॉड का भी शिकार हो जाते हैं। आइए समझते हैं कि यह गिरोह किस तरह से काम करता है। ठग की प्रक्रिया क्या है, जिसकी वजह से एजेंट इसके शिकार हो रहे हैं।
भवानी प्रसाद एक बीमा एजेंट हैं, जो पिछले 15 सालों से लाइफ इंडिया कॉर्पोरेशन में काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके पास शुक्रवार को साहिल नाम के एक शख्स ने कॉल ने किया था। कॉल करने वाले शख्स ने उनसे कहा कि वह अपनी कंपनी का बीमा करवाना चाहते हैं। इसके लिए शख्स ने मुझे अपने आधार कार्ड और पैन कार्ड डीटेल्स शेयर करने को कहा। जिस पर फोन पे या दूसरे पेमेंट्स ऐप हों और नंबर भी शेयर करने कहा। भवानी प्रसाद उन्हें जरूरी फोन समझकर सारी डीटेल्स शेयर कर देते हैं। जिसके थोड़ी देर बाद एक शख्स ने उनसे अधिकारी बनकर फोन पर बात करता है।
इस तरह होती है ठगी
कॉल करने वाले शख्स ने भवानी प्रसाद से कहा कि मैं अपनी कंपनी का बीमा करवाना चाहता हूं। पहले मैं आपको थोड़ी रकम आपके अकाउंट में भेज रहा हूं। यदि आपके अकाउंट पर पैसे आते है तो आप मुझे बताइएगा। जिसके बाद भवानी प्रसाद के अकाउंट पर 1 रुपये आते हैं। थोड़ी देर बाद ठग ने 14000 रुपये बीमा एजेंट के खाते में भेजे। फिर शख्स ने कहा कि ये पैसे आप मुझे फिर से भेज दिजिए। एजेंट ने सारे पैसे वापस भेज दिए। इस दौरान शख्स ने कहा कि ये कंपनी की प्रॉसेस है। फिर उसने बीमा एजेंट्स से 1000 और 2000 रुपये अपने अकाउंट पर ट्रांसफर करने को कहा। बीमा एजेंट को यह मामला सही लग रहा था। उन्होंने रकम उनके अकाउंट पर भेज दी। उसके बाद फोन पर बात कर रहे शख्स का फोन स्वीच ऑफ आने लगा। फिर बीमा एजेंट ने चैट को देखा तब तक ठग ने सारे चैट डिलीट कर दिए थे। इस तरह बीमा एजेंट को 3000 रुपये का चूना लग जाता है।
पुलिस को दें पूरी जानकारी
यदि आपके साथ ऐसी कोई घटना होती है तो आप सबसे पहले www.cybercrime.gov.in लिंक पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। साथ ही आप पुलिस स्टेशन के साइबर सेल में जाकर अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बारे पूरी जानकारी दें। इसके अलावा आप साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की शिकायत के लिए बनी हेल्पलाइन नंबर 155260 का इस्तेमाल कर सकते हैं। बैंक फ्रॉड से जुड़े हुए मामले यहां पर भी आप दर्ज कर सकते हैं। अगर आपके साथ बैंकिंग से संबंधित कोई फ्रॉड हुआ है तो आप अपना बैंक अकाउंट, ट्रांजैक्शन डीटेल्स और अपने बैंक कार्ड से संबंधित विवरण पुलिस को दें। साथ ही ठग के साथ की गई फोन कॉल की यदि रिकॉडिंग हो या फोन चैट हो तो वह सभी चीजें भी पुलिस को दें। यदि आप इसकी ऑनलाइन कंप्लेन्ट दर्ज करवाते हैं तो आपकी एक आईडी क्रिएट होती है। आईडी और पासवर्ड आप याद रखें। जिसके बाद पुलिस बैंक से संपर्क करती है। कई मामलों में पैसे रिकवर हो जाते हैं और कई मामलों में पैसे की रिकवरी में काफी दिक्कत होती है या यूं कहें कि पैसा मिलना नामुमकिन हो जाता है।
साइबर ठग पर होगी कार्रवाई
बता दें कि, साइबर क्राइम से जुड़े हुए ज्यादातर मामले आईटी एक्ट 2000 के तहत कार्रवाई की जाती है। इस दौरान अपराधियों के खिलाफ धारा 43, 65, 66 और 67 के अंतर्गत केस चलते हैं। IPC की धारा 420, 120बी और 406 के अंतर्गत भी आरोपियों पर केस चलाए जा सकते हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन में यह लिखा हुआ है कि अगर आप बैंकिंग फ्रॉड के शिकार हुए हैं तो 90 दिनों के भीतर संबंधित बैंक को अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दें। साथ ही आपके साथ फ्रॉड कैसे हुआ इन सभी चीजों के बारे में बैक अधिकारियों को बताएं। अगर आपकी लापरवाही की वजह से पैसे नहीं कटे हैं तो बैंक आपके पैसे रिफंड करने के लिए बाध्य है और यदि आपके द्वारा शेयर किए गए ओटीपी या बैंक से संबंधित डिटेल देने के बाद आपके साथ फ्रॉड हुआ है तो बैंक आपको रिफंड करे इसकी गांरटी काफी कम है। अगर बैंक को सूचना देने के बाद भी यदि आपके बैंक अकाउंट से पैसे कट जाते हैं तब आपके पैसे रिफंड किए जा सकते हैं।
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?
ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि लोग अपनी गोपनीय जानकारी सोशल मीडिया पर साझा कर देते हैं। जिसकी वजह से उनके साथ फ्रॉड हो जाता है। आप कभी भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर गोपनीय जानकारियां साझा न करें। इसके अलावा आप किसी भी स्थिति में ओटीपी शेयर न करें। इंडिया में ज्यादातर फ्रॉड ओटीपी शेयर करने की वजह से हो रहे हैं। ओटीपी शेयर करने की वजह से कई लोगों ने लाखों करोड़ों रुपये गंवाए हैं। आप डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड का पिन के अलावा सीवीवी नंबर भी किसी के साथ साझा नहीं करें। साथ ही आप आधार और पैन कार्ड की जानकारी भी किसी के साथ साझा ना करें। इसके अलावा आप किसी अनजान शख्स के साथ बैंकिंग ऐप या पेमेंट ऐप के जरिए पैसे ट्रांसफर नहीं करें। वरना आप ठगी का शिकार हो सकते हैं।
Created On :   18 Feb 2023 6:43 PM IST