आमलकी एकादशी आज : इस वृक्ष की पूजा से मिलेगा विष्णु व्रत का दोगुना फल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है। ये व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी व्रत का नियम है। इस एकादशी को शास्त्रों में श्रेष्ठ स्थान प्रदान किया गया है। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में ही भगवान विष्णु ने आंवले को वृक्ष को जन्म दिया था। इसे आदि वृक्ष के रूप में जाना जाता है एवं इसके प्रत्येक अंग में साक्षात ईश्वर का वास माना गया है। सभी एकादशी में इसका महत्वपूर्ण स्थान होता है। आमलकी एकादशी इस वर्ष 26 फरवरी 2018 सोमवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत मोक्ष की कामना से किया जाता है।
आमलकी या आंवले के वृक्ष को वृक्षों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है यह भगवान विष्णु को अति प्रिय है। इसके पूजन से गोदान का फल प्राप्त होता है जबकि स्पर्श करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है। यह वृक्षों में उसी प्रकार श्रेष्ठ व उत्तम है जैसे गंगा नदियों में पवित्र एवं पुण्यदायी है।
व्रत पूजन विधि
-आमलाकी एकादशी के दिन सुबह ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करें इसके पश्चात व्रत का संकल्प लें। उनसे प्रार्थना करें कि आपका व्रत विधि-विधान से निर्विघ्न संपन्न हो सके।
-विधि-विधान से भगवान विष्णु के पूजन के बाद आंवले के वृक्ष की पूजा करें। वृक्ष के चारों ओर सफाई कर उसे गाय के गोबर से लीपकर पवित्र करें।
-वृक्ष की जड़ों के समीप ही एक वेदी बनाकर कलश स्थापित करें और उस पर देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
-कलश जलाकर भगवान विष्णु की आराधना करें। उनसे प्रार्थना करें कि वे आपको जीवन के प्रत्येक पलों में उचित मार्ग दिखाएं।
-विधि-विधान से पूजन के बाद ब्राम्हणों को भोजन कराएं एवं रात्रि जागरण कर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें ।
यह व्रत धारण करने से जाने-अनजाने में किए गए समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। ऐसा बताया जाता है कि इस व्रत के संबंध में भगवान विष्णु ने स्वयं कहा है कि जो भी मोक्ष की कामना रखता है उसे यह व्रत अवश्य ही धारण करना चाहिए।
Created On :   25 Jan 2018 3:40 AM GMT