'कमलासना' ने बनाया था इस वृक्ष के नीचे भोजन, जानें पूरी कथा और उपाय

Akshaya Navami or Amla Navami Vrat and Puja Date with Time 2017
'कमलासना' ने बनाया था इस वृक्ष के नीचे भोजन, जानें पूरी कथा और उपाय
'कमलासना' ने बनाया था इस वृक्ष के नीचे भोजन, जानें पूरी कथा और उपाय

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आंवला नवमी या अक्षय नवमीं जो कि इस वर्ष 29 अक्टूबर 2017 को मनाई जा रही है। मान्यता है इस दिन भगवान विष्णु और शिव का आंवले के वृक्ष में वास होता है। इसलिए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को यह व्रत अवश्य करना चाहिए। 


शास्त्रों में ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि इस दिन किया गया पुण्य कभी भी समाप्त नही होता। नवमी को किया गया दान, पूजन, भक्ति आदि का फल अवश्य ही प्राप्त होता है। ठीक इसी प्रकार ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई ऐसा कार्य किया जाए तो शास्त्रोचित नही है तो उसका दंड कई जन्मों तक भुगतना पड़ता है। अक्षय नवमी पर किसी को कष्ट पहुंचे ऐसे कार्य नही करने चाहिए।

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माता लक्ष्मी ने की पूजा 

इस दिन को लेकर मान्यता है कि एक बार भ्रमण के पर निकलीं माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु और शिव की एक साथ पूजा करने की इच्छा हुई, किंतु दोनों का पूजन एक ही स्थान एक साथ कैसे संभव होता। फिर उन्हें आंवले का ख्याल आया। इसमें तुलसी एवं बेल के गुण एक साथ होते हैं। तुलसी विष्णु एवं बेल शिव को प्रिय है। जिसके बाद उन्होंने आंवले के वृक्ष को दोनों ही देवों का प्रतीक मानकर उन्होंने इसकी पूजा की। इसके बाद दोनों ही देव प्रसन्न हुए और नवमी के दिन इस पूजा की परंपरा चल पड़ी।

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यह करना ना भूलें 

-इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। नवमी के दिन स्वयं माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु और शिव को भोजन कराकर स्वयं भी भोजन किया था। इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राम्हणों को कराना चाहिए। फिर स्वयं भी करना चाहिए।

-भोजन के वक्त पूर्व दिशा की ओर मुख रखें। ऐसी मान्यता है कि वृक्ष के नीचे भोजन करते वक्त यदि थाली में पत्ता गिर जाए तो समझो भगवान विष्णु की आप पर कृपा है। 

-पूजन के बाद दान अवश्य करें, प्रयास करें आपके आसपास का कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे। 

-यदि आंवले वृक्ष के नीचे भोजन पकाना और खाना संभव नही हो तो आंवले का कम से कम फल अवश्य खाना चाहिए। ये पुण्यकारी और सेहतमंद माना गया है। 

-चरक संहिता में ऐसा उल्लेख मिलता है कि महर्षि च्यवन ने कार्तिक मास की अक्षय नवमी को आंवले के वृक्ष की नीचे आंवले का सेवन किया था। जिससे उन्हें उनका रून और नवयौवन प्राप्त हुआ था। 

Created On :   27 Oct 2017 12:09 PM IST

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