इन नियमों के पालन से पूर्ण हाेगा ''आमलकी एकादशी'' व्रत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी हर माह शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मनायी जाती है। एकादशी का व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर द्वादशी तक चलता है। आमलकी एकादशी का व्रत वह दिन माना जाता है जब आंवले के वृक्ष का अवतरण भगवान विष्णु के द्वारा किया गया। अन्य एकादशियों में आमलकी एकादशी का विशेष महत्व है। यह व्रत जितना धार्मिक रूप से लाभप्रद बताया गया है उतना ही स्वास्थ्य के लिए भी इसका विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जिस दिन इस वृक्ष का अवतरण हुआ इसे देखकर देवता भी आश्चर्य में पड़ गए थे। पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है। व्रत को लेकर कुछ नियम भी बताए गए हैं, जो इस प्रकार हैं...
1. व्रत के एक दिन पूर्व दशमी को कोई भी तामसिक भोजन जैसे-लहसुन, प्याज, मांस का आदि का सेवन नही करना चसाहिए।
2. व्रत के दौरान बुरे ख्याल अपने मन में नही आने देना चाहिए, अर्थात किसी की बुराई करना, क्रोध का भाव मन में लाना या किसी को भी अपशब्द कहना।
3. आंवले में साक्षात भगवान विष्णु के साथ अन्य देवताओं का भी वास माना गया है अतः इस दिन किसी भी तरह से वृक्ष को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। जैसे उसकी डालियों को तोड़ना, वृक्ष पर चढ़ना या काटने का प्रयास करना।
4. आंवले का सेवन इस दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। भगवान विष्णु को भोग में अर्पित करने के साथ ही इसे सभी लोगों को प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए।
5. यह इंद्रियों का व्रत माना गया है अतः इस दिन स्वयं सोना भी नही चाहिए।
6. आमलकी एकादशी व्रत के दिन चावल का सेवन ना करें, इस दिन इसे मांस भक्षण के समान ही माना जाता है।
7. इस व्रत के दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, प्रसाद में तुलसी अवश्य ही शामिल करें।
8. एकादशी व्रत के दिन नाखून नही काटने चाहिए। इसे अशुभ माना गया है।
Created On :   25 Feb 2018 3:30 AM GMT