होली के अजीब रंग : महाराष्ट्र के इस गांव में खेली जाती है पत्थरों से होली

डिजिटल डेस्क, यवतमाल। देश में दो स्थानों पर गोटमार मेला लगता है। मध्यप्रदेश के पांढुरणा और विदर्भ के यवतमाल जिले की मारेगांव तहसील अंतर्गत ग्राम बोरी (गदाजी) में। पूरा देश जहां होली पर रंग, अबीर, गुलाल से रंगोत्सव मनाता है वहीं विदर्भ के यवतमाल जिले की मारेगांव तहसील अंतर्गत क्षेत्र में स्थित ग्राम बोरी (गदाजी) में पत्थरों से होली खेली जाती है। ऐसा अजीबोगरीब एवं हैरतअंगेज खेल देखने के लिए दूरदराज से हजारों की संख्या में लोग इस गांव में पहुंचते हैं।
पथराव कर मनाते होली
बरसों से ग्राम बोरी (गदाजी) में यही परंपरा चली आ रही है। इस गांव में एकदूसरे पर पथराव कर होली मनायी जाती है। इस तरह बेहद अनूठे तरीके से यहां पर होली का त्यौहार मनाया जाता है। तहसील मुख्यालय से करीब 20 कि.मी. दूरी पर स्थित इस गांव में फागुन मास में पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। एकदूसरे पर पथराव करने के पीछे कोई दुर्भावना नहीं होती और न ही कोई रंजिश। इस मेले में सभी जाति, धर्म के लोग न केवल शामिल होते हैं बल्कि बड़ी संख्या में हिस्सा भी लेते हैं। कहा जाता है कि लगभग 80 से 90 वर्ष पहले यहां पर गदाजी महाराज का अधिवास हुआ करता था और उनके ही भक्त उनके प्रति श्रद्धा और आस्था प्रकट करने के उद्देश्य से यहां रंगोत्सव मनाने की बजाय पत्थरबाजी की परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।
कोने-कोने से लगता जमावड़ा
पत्थरबाजी के इस अद्भूत नजारे का आनंद उठाने के लिए राज्य के कोने-कोने से लोगों का यहां पर जमावड़ा लगता है। रंगपंचमी के दिन सुबह मटके में धुनी लेकर सारे गांव में प्रतीकात्मक शवयात्रा घुमाई जाती है। फिर भक्तस्नान करते हैं तथा महाराज के मंदिर के समीप स्थित ऊंचे टिले पर चढ़कर दो से तीन लोग नीचे पथराव करते हैं। जवाब में नीचे इकट्ठा लोग भी उनकी ओर पथराव करते हैं। यह सिलसिला तब तक जारी रहता है जब तक कोई घायल होकर मूर्छित न हो जाए। उसके बाद लहूलुहान हो चुके संबंधित व्यक्ति को फिर से मंदिर मं लाया जाता है। उसके सारे जिस्म पर विभूति लगायी जाती है जिसके बाद दो से तीन घंटे में उस व्यक्तिको होश आ जाता है। बरसों से चली आ रही यह परंपरा आज भी बरकरार है। इस खेल को बंद करने के प्रशासनिक स्तर पर कई बार प्रयास किए गए लेकिन किसी न किसी अनहोनी के कारण गांववासी इसे बंद नहीं कर पाए। राज्य में संभवत: यह पहला ऐसा गांव है जहां पर होली के दिन गोटमार मेले का आयोजन किया जाता है।
ऐसे शुरू हुई होली पर पथराव परंपरा
एक किंवदती के अनुसार 80 से 90 वर्ष पहले गदाजी महाराज यहां घोड़े पर सवार होकर आए थे। उन्हें देखने के लिए लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा था। इस दौरान महाराज ने एक पत्थर मारा जिससे एक बच्चे की मृत्यु हो गई। यह देख नागरिक भड़क उठे और महाराज को बांधकर रख दिया जिस पर महाराज ने कहा कि वे बच्चे को जीवित कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए उनकी बातें माननी होंगी। बालक को होली की रक्षा लगाने की सलाह उन्होंने दी। उस बालक के शरीर पर होली की राख लगाते ही वह जिंदा हो गया। तभी से यहां पर होली के दिन पथराव की परंपरा शुरू हो गई जो आज तक बरकरार है।
Created On :   2 March 2018 12:17 AM IST