ग्रहणकाल के वर्जित कार्य, इस दौरान सबसे उपयोगी है तुलसी पत्ती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। माघ पूूर्णिमा और चंद्रग्रहण दोनों एक ही दिन है। इस दिन दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। खासकर की करीब 35 साल बाद जब चंद्रमा एक के बाद एक अलग-अलग स्थानों पर तीन रंग का दिखाई देगा। एक ओर जहां वैज्ञानिकों की इस दुर्लभ घटना पर नजर है वहीं दूसरी ओर धर्म व ज्योतिष के ज्ञाता इसे अति विशिष्ट खगोलिय घटना बता रहे हैं। इससे पहले हम आपको धार्मिक दृष्टि से ना किए जाने वाले कार्यों के बारे में बता चुके हैं, किंतु यहां धार्मिक के साथ-सााथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी ना किए जाने वाले कार्यों के बारे में बताने जा रहे हैं....
-जैसा कि आप जानते हैं कि इस काल को सूतक काल कहा गया है। इस दौरान नाखून नहीं काटना चाहिए।
-इस काल में मंदिर के कपाट बंद कर दें और भगवान को स्पर्श ना करें।
-खाना एवं बनाना, तेल लगाना, सोना इत्यादि कार्य भी नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टि से इसे उचित नही माना गया।
-गर्भवती स्त्री, बुजुर्ग और बच्चे इस दौरान विशेष सावधानी बरतें।
-अचार, दूध, दही, भोजन, पानी में तुलसी की पत्तियां डाल दें। इस संबंध में बताया जाता है कि तुलसी की पत्तियों में हानिकारक किरणों से लड़ने की क्षमता होती है, जिससे की खाद्य सामग्री दूषित नही होती। इसे धार्मिक दृष्टि से भी अति पवित्र माना गया है।
यदि ग्रहणकाल में आप तुलसी की पत्तियां भोजन में डालना भूल गए हैं या किसी कारणवश नहीं डाल पाए हैं तो ग्रहण के उपरांत उसे ग्रहण ना करें। खासकर तरल पदार्थ। इन्हें सेहत और धार्मिक दोनों ही दृष्टिकोणों से उर्पयुक्त नही माना गया है।
होता है दुष्प्रभाव
इन कार्यों को ना करने के संबंध में बताया जाता है कि ग्रहण काल में नकारात्मक दूषित किरणों का आगमन होता है। ऐसे में यदि आप खाना-पीना, सोना इत्यादि कार्य करते हैं तो उनकी चपेट में आने में देर नही लगती।

Created On :   27 Jan 2018 12:22 PM IST