उगते सूर्य को अर्घ्य दे छठी-मईया से मांगा वरदान, आज पूर्ण हुआ कठिन व्रत

डिजिटल डेस्क, पटना। छठ पर्व का शुक्रवार को अंतिम दिन रहा। सुबह से ही पवित्र नदी घाटों पर भारी भीड़ देखने मिली। गंगा, यमुना, नर्मदा के तटों पर लाखों की संख्या में व्रती परिवार के साथ पहुंचे। इसके साथ ही देश में जहां भी लोगों ने इस व्रत रखा वहां नदी घाटों और तालाबों के पास छठ व्रती छठी-मईया की पूजा और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते नजर आए।
भोर से पहले तटों पर पहुंचे
चार दिनों के व्रत के बाद शुक्रवार को परवैतिन ने छठी-मईया से वरदान मांगा। कहा जाता है कि अंतिम दिन सूर्य को अर्घ्य के बाद ही अपनी प्रार्थना छठी-मईया के समक्ष रखी जाती है और उसके पूर्ण होने का वरदान मांगा जाता है। व्रती सूर्य के उगने अर्थात भोर से पहले ही तटों पर पहुंच गए थे। मान्यता है कि डूबते सूर्य का अर्घ्य संध्या को वह उगते सूर्य का अर्घ्य प्रत्यूषा को दिया जाता है। ये दोनों सूर्यदेव की पत्नियां बताई गई हैं।
ऐसे हुआ था कठिन व्रत शुरू
24 को लौकी की सब्जी और चावल खाकर ये व्रत शुरू हुआ था। इसके पश्चात 25 को खरना में गुड़ की खीर का प्रसाद बांटा गया। प्रसाद ग्रहण करने और 25 की मध्यरात्रि में पानी पीने के बाद निर्जला व्रत शुरू हुआ। 26 को ठेंकुआए मूंगफलीए शकरकंदए कद़दू आदि का भोग लगाया गया। गुरुवार की शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया, जबकि शुक्रवार को भोर के सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूर्ण हुआ। शुक्रवार को सूर्योदय पर अर्घ्य के पश्चात प्रसाद वितरित हुआ जिसे परवैतिन ने भी ग्रहण किया।
फिर आने की प्रार्थना
परवैतिन ने अगले वर्ष फिर आने और खुशी-खुशी इस व्रत को पूर्ण करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की। ऐसी मान्यता है कि छठी मईया ढाई दिनों के लिए अपनी ससुराल से मायके आती हैं। जिसकी वजह से उनसे दोबारा अगले वर्ष फिर आने प्रार्थना की जाती है। इसके बाद चार दिनों का कठिन तप और यह व्रत पूर्ण हुआ।


Created On :   27 Oct 2017 9:18 AM IST