2019: साल के पहले दिन करें ये काम, पूरे वर्ष मिलेगी ईश्वर की कृपा

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2019: साल के पहले दिन करें ये काम, पूरे वर्ष मिलेगी ईश्वर की कृपा
2019: साल के पहले दिन करें ये काम, पूरे वर्ष मिलेगी ईश्वर की कृपा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के हनुमान मंदिरों पर मंगलवार के दिन बजरंग बली के भक्तों की कतार लगी रहती है। वहीं वर्ष 2019 का पहला दिन मंगलवार को पड़ रहा है, जो पवनसुत हनुमान का दिन माना गया है। बता दें कि इस दिन लोग मंगलकामना के लिए व्रत रखते हैं, लेकिन इस बार यह योग विशेष है। इस दिन वर्ष की पहली एकादशी पड़ रही है जो पापों का नाश करती है जिसका नाम सफला एकादशी व्रत है। 

हिन्दू ज्योतिषी के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह निर्बल हो और अगर उसके चलते शुभ फल नहीं मिल पा रहा हो तो ऐसे लोगों को मंगलवार को हनुमान जी का व्रत करना चाहिए। इससे शुभ फल मिलने लगता है। ऐसे में आप इस दिन हनुमान मंदिर जाकर भी पूजा-पाठ कर सकते हैं। इस दिन लाल कपड़े पहनना शुभ माना जाता है और हनुमान जी को फूल चढ़ाएं। आज हम आपको बता रहे हैं वर्ष की पहली सफला एकादशी के बारे में।

पापों से मिलेगी मुक्ति
एकादशी शब्द का अर्थ ग्यारह से है। एक महीने में दो एकादशी और एक साल में दो सफला एकादशी मनाई जाती है। सफला एकादशी व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है। इस बार सफला एकादशी 1 जनवरी 2019 को मनाई जाएगी। सफला एकादशी की महत्ता ब्रहमांड पुराण में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। ऐसा माना जाता है कि सफला एकादशी का व्रत रखने से आपके सारे पाप धुल जाएंगे, साथ ही अगले जन्म का रास्ता साफ हो जाएगा और आपके जीवन में खुशियां आएंगी। 

करें ये काम
एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत शुभ दिन है। सफला एकादशी व्रत करने के लिए व्यक्ति को व्रत के दिन सुबह स्नान करके भगवान की आरती करनी चाहिए और भगवान को भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। ब्राहमणों तथा गरीबों को भोजन और दान देना चाहिए।

ऐसे करें व्रत
सफला एकादशी के दिन विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन सामान्य नियमों का पालन करें। इसके साथ ही जहां तक हो सके इस दिन भोजन में नमक का प्रयोग बिल्कुल नहीं करें। एकादशी के दिन व्रती को शीघ्र उठकर, स्नान आदि कार्यों से निवृत होने के बाद व्रत का संकल्प भगवान विष्णु के सामने लेना चाहिए। संकल्प लेने के बाद धूप, दीप, फल आदि से भगवान कृष्ण और नारायण देव का पंचामृत से पूजन करना चाहिए। स्नान करने के बाद ब्राहमणों को अन्न और धन की दक्षिणा देकर इस व्रत का समापन करें।

Created On :   23 Dec 2018 4:14 PM IST

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