डोल ग्यारस 2017 : नए वस्त्र पहन इस दिन 'कन्हैया' ने पहली बार किए थे सूर्य दर्शन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोल ग्यारस भादौ मास के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन मनाई जाती है। कृष्ण जन्म के 11वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन माता यशोदा ने उनके वस्त्र धोए थे, जिसकी वजह से इसे जलझूलनी ग्यारस भी कहा जाता है। इस वर्ष इसे तिथि में फेर की वजह से कहीं 2 वहीं कहीं 3 सितंबर को मनाया जा रहा है।
निकलती हैं झांकियां
इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप का जलवा पूजन किया गया था। माता यशोदा ने बालगोपाल कृष्ण को नए वस्त्र पहनाकर सूरज देवता के दर्शन करवाए तथा उनका नामकरण किया। इस दिन भगवान कृष्ण के आगमन के कारण गोकुल में जश्न हुआ था। उसी प्रकार आज भी कई स्थानों पर इस दिन मेले एवं झांकियों का आयोजन किया जाता है। कृष्ण भगवान को डोले में बैठाकर झांकियां सजाई जाती हैं।
वामन ग्यारस
डोल ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहा जाता है। युधिष्ठिर ने इसे सर्वश्रेष्ठ व्रतों में से एक बताया है।
ये भी जानें
- इस दिन भगवान विष्णु, कृष्ण की पूजा की जाती है।
- इस व्रत में स्वच्छता का अधिक ध्यान रखा जाता है।
- जन्माष्टमी व्रत के फल की प्राप्ती के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए।
- रतजगा के साथ पूरी रात भजन गायन से व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है।
- व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ती होती है।



Created On :   1 Sept 2017 11:23 AM IST