इन कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं हनुमान जी, ऐसे करें भक्ति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है, जो थोड़ी सी भक्ति मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं और आपको शीघ्र फल प्रदान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी इस कलियुग के अंत तक अपने शरीर में ही रहेंगे। हनुमानजी आज भी धरती पर विचरण करते हैं। वे कहां रहते हैं, कब-कब व कहां-कहां प्रकट होते हैं और उनके दर्शन कैसे और किस तरह किए जा सकते हैं? आइए जानते हैं और साथ ही जानेंगे एक ऐसा रहस्य जिसे जानकारी आप चौंक जाएंगे।
चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥ संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥ और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है। द्वंद्व में रहने वाले का हनुमानजी सहयोग नहीं करते हैं। हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति को जीवन में श्रीराम की कृपा के बिना कोई भी सुख-सुविधा प्राप्त नहीं हो सकती है। श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए हमें हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहिए। उनकी आज्ञा के बिना कोई भी श्रीराम तक पहुंच नहीं सकता। हनुमानजी की शरण में जाने से सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही जब हनुमानजी हमारे रक्षक हैं तो हमें किसी भी अन्य देवी, देवता, बाबा, साधु, ज्योतिष आदि की बातों में भटकने की जरूरत नहीं। होई है वही जो राम रची राखा।। को करी तर्क बढ़ावहि शाखा।।
क्यों प्रमुख देव हैं हनुमान?
हनुमानजी कई कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। यह कि वे शक्तिशाली होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं। वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और यह भी कि वे आज भी सशरीर हैं। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमानजी। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती।
इंद्रादि देवताओं के बाद धरती पर सर्वप्रथम विभीषण ने ही हनुमानजी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण को भी हनुमानजी की तरह चिरंजीवी होने का वरदान मिला है। वे भी आज सशरीर जीवित हैं। विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की है। विभीषण द्वारा रचित इस स्तोत्र को "हनुमान वडवानल स्तोत्र कहते हैं।
सब सुख लहे तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।
Created On :   1 March 2019 9:23 AM GMT