अनंत चतुर्दशी 2017 : जानिए विसर्जन के शुभ मुहूर्त

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अनंत चतुर्दशी 2017 : जानिए विसर्जन के शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी 2017 : जानिए विसर्जन के शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पूरे भारत में अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला गणेश उत्सव समाप्त होने को है। इस वर्ष मनाए जा रहे गणेश उत्सव की खासियत यह थी कि इस बार भगवान गणेश भक्तों के घरों में प्रत्येक वर्ष की भांति 10 दिनों के लिए नहीं बल्कि 11 दिनों के लिए पधारे थे। इस वर्ष गणेश उत्सव का पर्व 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक मनाया गया। पौराणिक कथाओं में भगवान गणेश को आदिदेव माना गया है जिन्होंने प्रत्येक युग में अलग अवतार लिया था। भगवान गणेश को ज्योतिषशास्त्र के अनुसार केतु के रूप में माना जाता है।  

कब है शुभ मुहूर्त
इस वर्ष की चतुर्दशी तिथि 4 सितम्बर सोमवार सुबह 12:14 बजे से प्रारंभ होगी और 5 सितंबर मंगलवार को 12:41 बजे समाप्त हो जाएगी। इस वर्ष गणेश विसर्जन के लिए सुबह का शुभ मुहूर्त 09:32 बजे से लेकर 02:11 दोपहर तक का है। वहीं दोपहर का शुभ मुहूर्त 03:44 बजे से लेकर 05:17 बजे तक है। इसी प्रकार शाम का शुभ मुहूर्त 08:17 से लेकर 09:44 बजे तक और रात का शुभ मुहूर्त 11:11 बजे से प्रारंभ होगा।

कब मनाया जाता है अनंत चतुर्दशी
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तों के घरों में विराजे गणपति का विसर्जन किया जाता है। आज गणेश उत्सव के 11वें दिन देश भर में भगवान गणेश का विसर्जन असीम भक्तिभाव से किया जा रहा है। विभिन्न कार्यक्रम के दौरान श्री गणेश को विसर्जित करने के लिए भारी संख्या में जनमानस उमड़ा हुआ है। 

अनंत चतुर्दशी से जुड़ी मान्यताएं 
देश भर में गणेश चतुर्दशी से संबंधित कई प्रकार की मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान गणेश की रचना अपने शरीर के मैल से की थी। एक बार माता पार्वती नहाने गई थीं और उन्होंने पुत्र गणेश को घर की पहरेदारी करने का आदेश दिया था। माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिया था कि जब तक वह स्नान कर रही हैं तब तक वे किसी को भी घर में प्रवेश करने की अनुमति ना दें। तभी संयोगवश भगवान शंकर दरवाजे पर आ गए। जिसपर भगवान गणेश नें इन्हें घर के अन्दर जाने से रोका जिसके कारण भगवान शिव ने गुस्से में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। जिसके उपरांत माता पार्वती गणेश को मृत पाकर व्याकुल हो उठीं। 

जब भगवान शिव को उनकी गलती का एहसास हुआ तब उन्होंने अपने साथियों को भेज कर गणेश के लिए नया सिर लाने को कहा। उन लोगों ने भगवान शिव को एक हाथी का सिर लाकर दे दिया जिसे भगवान शिव ने गणेश के धड़ पर लगा कर उन्हें नया जीवन और नया रूप दे दिया। उसके बाद से ही भगवान गणेश को गजानन कहकर पुकारा जाने लगा।

पूजन की विधि 
भगवान गणेश की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। गणपति की दायीं ओर घूमी हुई सूंड वाली प्रतिमा को मंदिर में नहीं लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस पूजा के दौरान तुलसी का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। गणपति को मोदक बहुत पसंद हैं इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए अपने घर में बिल्कुल शुद्ध मोदक बना कर उन्हें चढ़ाना चाहिए। 

ऐसे करें विसर्जन 
भगवान गणेश का विसर्जन करने से पूर्व सबसे पहले उनकी आरती उतारी जाती है। साथ ही मन्त्रों का उच्चारण करते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा पर तिलक लगाकर उन पर फूल और मोदक चढ़ाये जाते हैं। इसके बाद भगवान को चढ़ाये गए फल और मिठाइयों को प्रसाद के रूप में भक्तों को वितिरित किया जाता है। इसके बाद गणपति को पूजा के स्थान से उठाया जाता है और साथ में फल, फूल, वस्त्र, दीपक, धूप, चावल, और सुपारी को एक लाल कपडे में बंधकर रखा जाता है। जिसका प्रयोग गणेश विसर्जन के दौरान की जाने वाली पूजा में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार विसर्जन किसी पवित्र नदी या फिर तलाब के तट पर ही करना चाहिए। 

 

Created On :   4 Sep 2017 6:04 PM GMT

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