पुत्र की दीर्घायु के लिए किया जाता है ये व्रत, जानें विधि और शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार हल षष्ठी व्रत इस वर्ष 28 अगस्त 2021 दिन शनिवार को रखा जाएगा। हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथी को हल षष्ठी व्रत रखा जाता है। देश के विभिन्न भागों में इस पर्व को अलग– अलग नाम से जाना जाता है कहीं इसे बलराम षष्ठी, खमर छठ तो कहीं छठ पीन्नी भी कहते हैं।
इस वर्ष पूरे दिन हल षष्ठी व्रत पूजन मुहूर्त है। श्रद्धालु सुबह से रात्रि 8 बजे तक किसी भी समय पूजा कर सकते हैं। यह व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए रखती हैं। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि यदि माताएं यह व्रत रखती हैं तो भगवान बलराम उनके बच्चों को लंबी आयु का वरदान देते हैं।
पूजन विधि
इस दिन व्रतधारी माताएं सुबह उठ कर महुए के दातुन का उपयोग दातुन करने के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं किसी भी प्रकार का फल, अनाज और सब्जी नहीं खाती हैं जो हल से जुते हुई खेत में उगाया गया हो। इस दिन केवल वही चीजें ही खाई जाती हैे जो उस जमीन पर उगाई गई होे जिस जमीन पर 6 साल से हल ना चली हो। ज्यादातर इस दिन तालाब में पैदा हुई चीजों का प्रयोग किया गया है, जैसे केर्मुआ भाजी (साग), पसहर चावल, तिन्नी का चावल आदि। इस दिन गाय के किसी भी उत्पाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। बल्कि सभी उत्पाद भैंस के होते हैं जैसे दूध, दही और घी आदि।
इस व्रत को करने के लिए माताएं अपने घर में ही तालाब बनाकर उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी और अन्य पेड़ लगाती हैं, जो तालाब के किनारे लगे होते हैं। साथ ही महिलाएं तालाब में मिट्टी से बनी मगरमछ और मछली, भौंरा, कंचें भी बना कर डालती हैं।
तालाब के पास गौरी गणपति जी की प्रतिमा रखकर और कलश पर भैंस के घी से दीप जलाकर पूजन प्रारंभ करती हैं तथा तालाब एवं गौरी गणेश की पूजा करते हैं। जिसमें सबसे पहले भगवान को शुद्ध जल से स्नान करा लें। इसके बाद भगवान को कुमकुम, चंदन, अक्षत फूल बेलपत्र आदी अरपित कर धूप दिप से आरती करें। आरती के बाद भगवान को नारियल एवं अन्य प्रसाद अर्पित करें। पूजा के बाद हल षष्ठी व्रत की कथा जरूर सुनें।
Created On :   23 Aug 2021 5:38 PM IST