पितृ मोक्ष अमावस्या पर दोष से मुक्ति के लिए अवश्य करें ये श्राद्ध कर्म

डिजिटल डेस्क, भोपाल । पितृ मोक्ष अमावस्या सोमवार के दिन 8 अक्टूबर 2018 को है।इस दिन सोमवार होने से सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। इस बार अमावस्या का अपना ही एक विशेष महत्त्व है। पितृ दोष निवारण के लिए श्राद्ध पक्ष में पड़ने वाली सर्वपितृ मोक्ष सोमवती अमावस्या पर श्राद्ध करने का विशेष ही फल मिलता है।

- कृतिका नक्षत्र में श्राद्ध करने से सभी कामनाएं पूरी होती है।
- रोहिणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से जातक को संतान का सुख प्राप्त होता है।
- मृगशिरा नक्षत्र में श्राद्ध करने से कुछ विशेष गुणों में वृद्धि होती है।
- आर्द्रा नक्षत्र में ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
- पुनर्वसु नक्षत्र में जातक को सुंदरता की प्राप्ति होती है।
- पुष्य नक्षत्र में श्राद्ध करने से वैभव मिलता है।
- आश्लेषा नक्षत्र में श्राद्ध करने से जातक दीर्घायु होता है।
- मघा नक्षत्र में श्राद्ध करने से लक्ष्य की प्राप्ती होती है।
- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में श्राद्ध करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- हस्त नक्षत्र में श्राद्ध करने से ज्ञान या विद्या की प्राप्ति होती है।
- चित्रा नक्षत्र में श्राद्ध करने से प्रसिद्ध संतान की प्राप्ति होती है।
- स्वाति नक्षत्र में श्राद्ध करने से व्यापार में लाभ होता है।
- विशाखा नक्षत्र में श्राद्ध करने से वंश वृद्धि होती है।
- अनुराधा नक्षत्र में श्राद्ध करने से पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
- ज्येष्ठा नक्षत्र में श्राद्ध करने से उच्च अधिकार दायित्व प्राप्त होता है।

समूचे श्राद्ध पक्ष में पितृ मोक्ष अमावस्या ही एक ऐसा दिन है, जब आप अपने पितृरों का श्राद्ध या तर्पण कर सकते हैं। अमावस्या को श्राद्ध तर्पण करने का एक विशेष कारण ये भी है कि अमावस्या के दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है। इसके साथ ही जातक के घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जातक के सर्वकष्ट दूर हो जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि पितृ मोक्ष अमावस्या को पितृ अपने प्रियजनों के पास यमलोक से पृथ्वी पर श्राद्ध की भावना लेकर आते हैं और तब उनका पिंडदान नहीं होने पर वो श्राप दे जाते हैं। जिस कारण घर की सुख-शांति भंग हो जाती है और कलह बनी रहती है। इसलिए इस दिन भूल-चूक या अज्ञात श्राद्ध कर्म करना अवाश्यक है। गरुड़ पुराण में इस बात का विशेष उल्लेख किया गया है कि किस नक्षत्र में श्राद्ध करने से क्या फल मिलता है।

हिंदू धर्म में हमारे पूर्वजों का स्मरण कर उनके प्रति आदर, श्रद्धा रखते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए स्नान, दान, तर्पण आदि हर कोई करता हैं।
ज्योतिष के अनुसार यदि जातक नियत तिथि पर अपने पितृरों का श्राद्ध नहीं कर सकते हैं, तो आश्विनी मास में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अर्थात अमावस्या को उनका श्राद्ध कर सकते हैं। इसीलिए इस तिथि का नाम सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या है।
Created On :   4 Oct 2018 3:40 PM IST