माघ मेला: संतों और गृहस्थों का कल्पवास शुरू, सुबह-शाम गंगा स्नान

डिजिटल डेस्क, इलाहाबाद। माघ मेले के पहले स्नान पर तीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किए। पौष पूर्णिमा पर गंगा-यमुना के पवित्र संगम तट पर डुबकी लगाई। अब एक माह तक यही नजारा यहां देखने मिलेगा। संतों के साथ गृहस्थों का भी कल्पवास यहां शुरू हो गया है। कल्पवास की शुरूआत आश्रमों में ध्वज पूजन के साथ हुई। यहां फिलहाल करीब ढाई लाख कल्पवासी पहुंच गए हैं। कड़ाके की सर्दी के बीच संगम तट पर श्रद्धालुओं का हुजूम यहां देखने मिल रहा है। तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर कल्पवास की परंपरा आदिकाल से है।
एक वक्त भोजन और कठिन नियम
कल्पवास के दौरान कल्वासी एक वक्त भोजन और एक वक्त फलाहार लेंगे। सुबह और शाम गंगा स्नान, तीन वक्त संध्या और सिर्फ हरिभजन। इस दौरान कल्पवासी पूर्ण निद्रा से भी बचेंगे। साथ ही किसी की भी निंदा नही करते। माना जाता है कि विधि का पालन करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं एवं अपने चरणों में स्थान देते हैं जबकि किसी की निंदा करने से कल्पवास के दौरान किया गया पूरा पुण्य, दान एवं भक्ति का फल नष्ट हो जाता है। तेज ठंड में इन नियमों का पालन करना उतना भी आसान नही होता।
कुंभ के समान नजारा
माघ स्नान का नजारा पूरे एक माह तक कुंभ के समान ही देखने मिलता है। दूर-दूर से साधु संत यहां आते हैं। उनका कठिन तप गृहस्थों की भक्ति को भी बढ़ा देता है। इस दौरान तुलसी पूजन, सत्यनारायण भगवान की कथा पूजन आदि भी किया जाता है। गंगा स्नान विशेष रूप से इन दिनों संगम स्नान का खास महत्व है।
दीपदान अाैर पुण्यदान
पूरे एक माह गरीबों को दान या भोजन कराने का विशेष महत्व है। दीपदान करने से भी पुण्यों की प्राप्ति होती है। संगम के तट दिन और रात इन दिनों हरिभजनों से गुंजायमान रहते हैं। कुछ विदेशी भक्त भी पहुंचते हैं जो इन कठिन नियमों का पालन करते हैं।
Created On :   4 Jan 2018 9:12 AM IST