अगर घट रही हैं ऐसी घटनाएं तो पूर्वजों के कर्मों का फल भुगत रहे हैं आप

डिजिटल डेस्क, भोपाल। गीता में कहा गया है कि मनुष्य अपने कर्मों का फल इसी जन्म में पाता है किंतु इस संसार में रहते हुए फल की चिंता किए बिना कर्म करते जाना ही हर मनुष्य का कर्त्तव्य है। जो कर्म नहीं करता वह पाप का भागीदार होता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि मनुष्य के स्वभाव के विपरीत उसे कर्मफल मिलते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि अच्छे लोगों को बार-बार जीवन में बुरी तथा दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का सामना करना पड़ जाता है, जबकि कई दुष्ट मनुष्यों को अनेक बुरे कर्मों के बावजूद भाग्यहीनता का कभी सामना नहीं करना पड़ता। ऐसे में अगर कर्म के अनुसार फल पाने जैसी बातों का आंकलन करें, तो यह पूरी तरह निराधार होती है।
मनुष्य का वंश उसका पुनर्जन्म माना जाता है
बच्चे अपने माता-पिता का अंश होते हैं और उन्हीं का दूसरा रूप माने जाते हैं। उनकी सोच और स्थिति के अनुसार बच्चों का जीवन भी प्रभावित होता है, लेकिन इससे भी कहीं बहुत अधिक हर व्यक्ति का भाग्य और दुर्भाग्य भी अपने पारिवारिक कर्मों से जुड़ा होता है। इसलिए संभव है कोई मनुष्य अपने कर्म और स्वभाव में अति नेक दिल हो लेकिन उसकी परिस्थितियां हमेशा उसे चुनौतियों तथा दुखों का सामना कराती है। वहीं ऐसा भी संभव है कि एक अत्यधिक क्रूर व्यक्ति है जिसे अपने भाग्य के बल पर जीवन का हर सुख मिल जाता है और हर चीज उसे आसानी से मिल जाती है। यह उनसे जुड़े पारिवारिक कर्मों के फल हो सकते हैं। इसलिए अपने साथ दूसरों की परिस्थितियों की तुलना करते हुए दुखी होने की बजाय आपको उसे अपना कर्मफल मानकर चलना चाहिए और ईमानदारी पूर्वक अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए।
आज हम आपको ऐसे ही कुछ लक्षणों के बारे में बताएंगे जो कि आप अपने पूर्वजों के कर्मों का फल भुगत रहे हैं।
पूर्वजों से कैसे जुड़ते हैं कर्मफल
पारिवारिक कर्मों या कहें पूर्वजों के कर्मों से जुड़े लोग कुछ ऐसी घटनाओं या परिस्थितियों से जुड़ सकते हैं जिसका उनके वर्तमान समय से शायद ही कोई नाता हो। ऐसे लोग उन परिस्थितियों के भी जिम्मेदार ठहराए जाते हैं जो उन्होंने कभी किया ही नहीं या ऐसा भी संभव है कि आपको उस काम का क्रेडिट भी मिले जिसके लिए आपका बहुत अधिक योगदान ना हो।
अगर कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों के कर्मों से जुड़ा होगा तो जरूरी नहीं कि यह हमेशा उसके लिए नकारात्मक ही होगा, बल्कि कई बार यह उसके लिए अच्छा भी होता हे। या तो ऐसे लोगों को मेहनत से कम आंका जाता है या मेहनत और उम्मीद से अधिक उन्हें मिलता है। ज्यादातर ऐसे लोगों को परिवार में या तो उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता है या उनसे हर किसी की बहुत अधिक उम्मीदें होती हैं। इसलिए अगर परिवार में कुछ बुरा हुआ और उसके लिए वो जिम्मेदार ना भी हुए, तो भी दोषी ठहराए जाते हैं। यह उनके लिए बेहद दुःखी करने वाला या अवसादपूर्ण होता है।
इसके ठीक विपरीत कई बार ऐसा भी होता है कि किसी भी प्रकार से परिवार की उन्नति हो या मान-सम्मान मिले और उसे पाने में भले ही उस व्यक्ति ने कोई अधिक प्रयास ना किया हो लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी होती हैं कि उसका पूरा फल उसे ही दे दिया जाता है।
ऐसे लोग त्यागी होते हैं और जीवन में अपने पूर्वजों के आशीर्वाद से आगे बढ़ते हैं। परिवार और उसके हर सदस्य के लिए उनके दिल में एक विशेष मोह होता है। अन्य लोगों की अपेक्षा उनमें परिवार के सदस्यों और परिस्थितियों के लिए अतिरिक्त समझ भी होती है। जिन घटनाओं या समस्याओं का कारण और निदान परिवार के बड़े भी नहीं समझ पाते, उन्हें ये आसानी से समझ लेते हैं।
ऐसे में क्या करें ?
ऐसे लोगों को जीवन में अकारण बुरी परिस्थितियां भले ही मिलें लेकिन हर हाल में वे उससे उबर ही जाते हैं। इसलिए अगर आपके साथ भी उपर्युक्त परिस्थितियां हैं तो समझें आप भी अपने परिवार के कर्मों से जुड़े हैं। ऐसे में अगर आपको बेवजह प्रशंसा मिले तो उसपर बहुत अधिक उत्साहित और खुश होने की बजाय अपनी वास्तविकता को याद रखें।
इसी प्रकार अगर अकारण कुछ बुरा होता है तो दुखी होने की बजाय सत्य को स्वीकारें। जो हो रहा है उसका आकलन करें और अपने दिल की सुनें। चाहें हालात अच्छे हों या बुरे, अपने दिल की आवाज को कभी अनसुना ना करें, यही आपको हमेशा सही रास्ता दिखाएगा और हितार्थ कार्यों को करते जाएं जिसके कारण आपका पुण्य बढ़े जो आपको और आपकी संतान को लाभ दे।
Created On :   14 May 2018 3:50 PM IST