जन्मकुंडली से जानें कितने और कैसे वाहनों के मालिक बनेंगे आप 

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जन्मकुंडली से जानें कितने और कैसे वाहनों के मालिक बनेंगे आप 
जन्मकुंडली से जानें कितने और कैसे वाहनों के मालिक बनेंगे आप 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। किसी जातक की जन्म कुण्डली विवेचना में उस कुण्डली में स्थित योग अपना अलग ही महत्व रखते हैं। योग से तात्पर्य ग्रहों के कुछ विशेष जोड़ हैं अर्थात् ग्रह जब विशेष परिस्थिति में कुछ खास योग बनाते हैं तो ऐसी स्थिति में शुभ अथवा अशुभ फल प्रदान करते हैं।

वैदिक कुण्डली स्थित ग्रहों के स्थानानुसार वाहन योग 

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ एवं नवम भाव के स्वामी ग्रह लग्न भाव में स्थित हों, तो संबंधित जातक की जन्म कुण्डली में वाहन योग बनता है। यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति चतुर्थ भाव में स्थित हो अथवा बृहस्पति ग्रह के चतुर्थ भाव पर दृष्टि पड़ रही हो, तो संबंधित जातक के पास अनेकों प्रकार के वाहन होते हैं एवं ऐसे जातक को असीम सुख की प्राप्ति होती है। यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव के स्वामी ग्रह के साथ शुक्र ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित होता है, तो संबंधित जातक की जन्म कुण्डली में वाहन योग बनता है।

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव के स्वामी ग्रह के साथ शुक्र ग्रह, नवम भाव, दशम भाव अथवा एकादश भाव में स्थित होता है, तो सम्बंधित जातक की जन्म कुण्डली में अनेकों वाहनों का योग बनता है। किसी जातक की जन्म कुण्डली कर्क लग्न की हो एवं बुध और शुक्र ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हों, तो बुध की दशा एवं शुक्र की अंतर्दशा में संबंधित जातक को वाहन प्राप्ति का योग बनता है।

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह पंचम भाव में स्थित हो एवं पंचम भाव का स्वामी ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हो, तो ऐसी स्थिति में संबंधित जातक का भाग्य उदय के साथ-साथ वाहन योग भी बनता है।

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह नवम भाव में स्थित हो एवं नवम भाव का स्वामी ग्रह चतुर्थ भाव में स्थित हो, तो ऐसी स्थिति में संबंधित जातक का भाग्य उदय के साथ-साथ वाहन योग भी बनता है।

 


कुण्डली में वाहन के कुछ महत्वपूर्ण योग

1. यदि जन्म कुण्डली में चतुर्थेश लग्नेश के घर में हो तथा लग्नेश चतुर्थेश के भाव में हो यानि दोनों के बीच स्थान परिवर्तन का योग बन रहा हो तो जातक को बड़े वाहन के सुख की प्राप्ति होगी। 
2. चतुर्थ भाव का स्वामी तथा नवम भाव का स्वामी अगर लग्न भाव में बैठा है तो व्यक्ति को वाहन सुख मिलता है। 
3. यदि कुण्डली में नवम, दशम व लाभ भाव में शुक्र के साथ चतुर्थेश की युति हो तो वाहन की प्राप्ति होती है। 
4. अगर चतुर्थेश का संबंध शनि के साथ हो अथवा शनि व शुक्र की युति हो या शुक्र पर राहु की दृष्टि हो तो वाहन प्राप्त करने में काफी संघर्ष करना पड़ता है।  
5. जिस कुण्डली में चतुर्थ भाव बलवान हो, शुक्र का लाभेश के साथ संबंध हो तथा पंचम भाव में गुरू बैठा हो। ऐसे व्यक्ति के साथ वाहनों का काफिला चलता है। 
6. जब कुण्डली में चतुर्थेश उच्च राशि में शुक्र के साथ हो तथा चौथे भाव में सूर्य स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को लगभग 30 वर्ष की अवस्था तक वाहन सुख प्राप्त होने की संभावना रहती है। 
7. लाभ भाव में चतुर्थेश बैठा हो एवं लग्न में शुभ ग्रह बैठे हों तथा लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो तो लगभग 15 से 20 वर्ष की अवस्था तक वाहन सुख मिलता है। 
8. अगर चतुर्थ भाव का स्वामी नीच राशि में बैठा हो एवं लग्न में शुभ ग्रह बैठे हों तो भी किशोरावस्था में वाहन सुख मिलने के आसार रहते हैं। 
9. यदि जन्मकुण्डली में दशम भाव का स्वामी चतुर्थेश के साथ युति कर रहा हो दशमेश अपने नवमांश में उच्च का होकर बैठा हो तो वाहन सुख मिलता है पर देर से मिलता है। 

Created On :   23 Jun 2018 2:45 PM IST

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