लक्खी फाल्गुन मेला, खाटूश्यामजी के दरबार में एकादशी उत्सव

Lakhi Khatu Shyam Ji phalgun Mela 2018 at the Temple of Sikar
लक्खी फाल्गुन मेला, खाटूश्यामजी के दरबार में एकादशी उत्सव
लक्खी फाल्गुन मेला, खाटूश्यामजी के दरबार में एकादशी उत्सव

 

डिजिटल डेस्क, जयपुर। फाल्गुन एकादशी के महत्व को पुराणों में भी स्वीकारा गया है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत धारण का पुण्य फल मनुष्य को जीवनकाल के उपरांत मोक्ष के रूप में प्राप्त होता है। खाटूश्यामजी का मेला और यहां का पूजन भी फाल्गुन एकादशी पर चरम पर होता है। बाबा श्यामजी के 12 दिवसीय वार्षिक लक्खी फाल्गुन मेला महोत्सव में लाखों की संख्या में लोग इस दिन शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। 


 

इस दिन आते हैं हजाराें भक्त

बाबा श्यामजी के दरबार में एकादशी पर पूजन, दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। कहा जाता है कि इस दिन यहां मांगी गई मन्नत अवश्य ही पूर्ण होती है। अन्य दिनों व त्योहारों की अपेक्षा यहां इस एकादशी पर श्रद्धालुओं की आवक ज्यादा रहती है। 


 

पौराणिक कथा के अनुसार

बाबा खाटूश्यामजी को दान के बाबा भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार ये महाभारत का एक पात्र थे। महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने खाटू श्यामजी की परीक्षा लेने के लिए उनका शीश मांगा था, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी समर्पित कर दिया था। इस शीश को युद्ध समाप्त होने के उपरांत भगवान श्रीकृष्ण ने नदी को समर्पित किया और उन्हें श्याम नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया। खाटू श्यामजी घटोत्कक्ष की संतान बताए जाते हैं। इन्हें भगवान शिव से आशीर्वाद स्वरूप तीन बाण प्राप्त हुए थे जिसके बल पर ये पूरा युद्ध जीतने में सक्षम थे। इस वजह से इन्हें तीन बाणधारी भी कहा जाता है। 

 

पूजा का विशेष दिन

लक्खी फाल्गुन मेला राजस्थान में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। हालांकि यहां दर्शनों के लिए विदेशी श्रद्धालुओं का भी आगमन होता है। मान्यता है कि इनकी पूजा से भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस मेले आैर एकादशी पर पूजन का सालभर इंतजार किया जाता है। इस बार यह साेमवार काे होने की वजह से पूजन का दिन भी विशेष ही माना जा रहा है।

Created On :   25 Feb 2018 9:38 AM IST

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