जानिए आपकी कुंडली में लव मैरिज का योग है या नहीं

डिजिटल डेस्क । लव मैरिज करने वाले लड़के और लड़कियों को एक-दूसरे को समझने के ज्यादा मौके मिलते है। जिससे दोनों एक-दूसरे की इंट्रेस्ट्स, स्वभाव और पसन्द-नापसन्द को अधिक कुशलता से समझ पाते है। लव मैरिज करने वाले वर-वधू भावनाओं और स्नेह की प्रगाढ़ डोर से बंधे होते है। ऐसे में जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी दोनों का साथ बना रहता है, लेकिन कभी-कभी लव मैरिज के बाद कई ऐसी स्थितियां आती है जब प्रेम होते हुए भी गृहस्थ जीवन में वो खुशहाली नहीं आ पाती है जिसके बारे में कल्पना की गई थी। इस स्थिति में दोनों का लव मैरिज करने का निर्णय जल्दबाजी में किया गया डिसीजन लगने लगता है। आगे जीवन कैसे रहने वाला है ये तो कोई नहीं बता सकता है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र की मदद काफी संभवानाओं को टटोला जा सकता है। आपको किस तरह के विवाह बंधन में बंधना चाहिए आइए जानते हैं कि आपकी कुण्डली के जरिए। कुंडली में कई ऐसे योग होते है जो बताते है कि लव मैरिज की संभावनाएं हैं भी या नहीं।
राहु के योग से लव मैरिज की संभावनाएं
- जब राहु लग्न में हों परन्तु सप्तम भाव पर गुरु की दृ्ष्टि हों तो व्यक्ति की लव मैरिज होने की संभावनाए बनती है। राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता है। राहु को स्वभाव से संस्कृ्ति व लीक से हटकर कार्य करने की प्रवृ्ति का माना जाता है।
- जब जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी लव मैरिज कि संभावनाएं बनती है। कुण्डली के सभी ग्रहों में इन तीन ग्रहों को सबसे अधिक अशुभ व पापी ग्रह माना गया है। इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव, भावेश से संबन्ध बनाता है तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है।
- जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश और शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके लव मैरिज करने की सम्भावनाएं बनती है।
- जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के लव मैरिज के योग बनते है।
लव मैरिज के अन्य योग
- जब किसी व्यक्ति कि कुण्ड्ली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी लव मैरिज के योग बनते है।
- इसके अलावा जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द लग्न से पंचम भाव में स्थित होंने पर लव मैरिज की संभावनाएं बनती है।
- लव मैरिज के योगों में जब पंचम भाव में मंगल हों या पंचमेश और एकादशेश का राशि परिवतन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में लव मैरिज होने के योग बनते है।
- अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम और नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में लव मैरिज कि संभावनाएं बनती है।
- जब सप्तम भाव में शनि और केतु की स्थिति हों तो व्यक्ति का लव मैरिज हो सकती है।
- कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के लव मैरिज की संभावनाएं बनती है।
- जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक -दूसरे से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहे हों तब भी लव मैरिज की संभावनाएं बनती है।
- जब सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हों तब विवाह का भाव बली होता है और व्यक्ति लव मैरिज कर सकता है।
- पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृ्ष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हों तब भी लव मैरिज के योग बनते है।
- जब सप्तमेश की दृ्ष्टि, युति, स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हों तो, लव मैरिज होती है।
- द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश कि युति हों व भाग्येश इन से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो लव मैरिज की संभावनाएं बनती है।
- जब जन्म कुण्डली में शनि किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर वह मंगल, सप्तम भाव व सप्तमेश से संबन्ध बनाते है. तो लव मैरिज हो सकता है।
Created On :   22 April 2018 8:39 AM IST