ये है बाबा महादेव की ससुराल, जहां माता सती ने त्यागे थे अपने प्राण

डिजिटल डेस्क, हरिद्वार। महाशिवरात्रि, जब महादेव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बना है। ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि यही वह दिन जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ था, किंतु यहां हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे भगवान शिव की ससुराल कहा जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर शिव पूजन करने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ससुर के रूप में धर्मग्रंथों में वर्णित
यह स्थान है हरिद्वार जिसे महादेव की ससुराल के रूप में जाना जाता है। इस स्थान को कनखल के नाम से भी जाता है। यहां दक्ष प्रजापति का मंदिर भी बना हुआ है जो माता सती के पिता और भगवान शिव के ससुर के रूप में धर्मग्रंथों में वर्णित है। भक्त यहां शिव पूजन के लिए आते हैं और दूध के साथ ही दही और गंगाजल से शिव का अभिषेक करते हैं।
भव्य यज्ञ का आयोजन
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कनखल ही वह स्थान है जहां दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन कर समस्त देवताओं को आमंत्रित किया था किंतु अपने ही दामाद शिव को नही बुलाया। पति के अपमान से का्रेधित एवं दुखी होकर इसी स्थान पर माता सती ने स्वयं को भस्मीभूत कर लिया था।
दक्ष यज्ञ का शिव ने यहां किया था घ्वंस
कनखल के विशेष आकर्षण प्रजापति मंदिर, सती कुंड एवं दक्ष महादेव मंदिर हैं। दक्ष प्रजापति के भव्य मंदिर के निकट सतीघाट के नाम से प्रसिद्ध स्थान है जहां पुराणों के अनुसार शिव ने सती के प्राणोत्सर्ग के पश्चात दक्षयज्ञ का ध्वंस किया था।
मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना
यह स्थान अनेक कथाओं को कहता है। भक्त यहां बड़ी संख्या में आते हैं खासतौर पर महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है। हर ओर से श्रद्धालुाओं का आगमन होता है जो शिव अभिषेक कर अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना महादेव से करते हैं।
Created On :   13 Feb 2018 9:49 AM IST